बिजनेस डेस्क। अमेरिका ने भारत से आने वाले माल पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है। पहले से ही लगाए गए 25% आयात शुल्क के बाद इस अतिरिक्त टैक्स ने भारतीय निर्यातकों की चिंता और बढ़ा दी है। कपड़े, गहने और कालीन जैसे प्रमुख भारतीय उत्पाद अब अमेरिकी बाजार में पहले से कहीं महंगे हो गए हैं। इससे भारतीय कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
भारत अमेरिका को माल ज्यादा बेचता है, लेकिन उससे खरीदता कम है। इस वजह से अमेरिकी बाजार भारतीय निर्यातकों के लिए बेहद अहम है। नई टैरिफ दरों के कारण भारतीय सामान अमेरिकी ग्राहकों के लिए कम आकर्षक हो सकता है। अनुमान है कि निर्यातकों की आमदनी आधी रह सकती है। निर्यात में 40-45% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है।
2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 186 अरब डॉलर रहा। इसमें भारत ने 86.5 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि 45.3 अरब डॉलर का आयात हुआ। भारत ने अमेरिका के साथ 41 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष दर्ज किया। अमेरिकी बाजार भारत के कुल माल निर्यात का लगभग 18% हिस्सा रखता है, जबकि GDP में यह योगदान केवल 2% है।
S&P ग्लोबल रेटिंग्स का मानना है कि इन टैरिफ का भारत की जीडीपी वृद्धि दर पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। एजेंसी के अनुसार भारत एक व्यापार-निर्भर अर्थव्यवस्था नहीं है। अमेरिका को निर्यात केवल GDP का 2% हिस्सा है। भारत की अनुमानित वृद्धि दर 2025 में भी 6.5% रहने का अनुमान है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि भारतीय निर्यात का मूल्य 87 अरब डॉलर से घटकर 49.6 अरब डॉलर रह सकता है। कारोबारी संगठनों ने कहा कि अगर अमेरिका ने टैरिफ हटाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया, तो इसका असर लाखों नौकरियों और भारत के श्रम-प्रधान उद्योगों पर पड़ेगा।