बिजनेस डेस्क, इंदौर। वर्तमान वित्तीय बाजार की अस्थिरता और बढ़ते जोखिम को देखते हुए निवेशकों के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कहां निवेश करें, जिससे जोखिम कम हो और बेहतर रिटर्न भी मिले। ऐसे में मल्टी एसेट एलोकेशन फंड एक व्यावहारिक, संतुलित और स्मार्ट निवेश विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं।
मल्टी एसेट फंड वे म्यूचुअल फंड होते हैं, जो एक साथ तीन या उससे अधिक एसेट क्लास जैसे कि इक्विटी, डेब्ट, गोल्ड, कमोडिटी और कुछ मामलों में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) में निवेश करते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि अगर कोई एक एसेट क्लास खराब प्रदर्शन कर रहा हो तो दूसरा उससे हुए नुकसान की भरपाई कर सके। इस प्रकार यह फंड जोखिम को संतुलित करते हैं और निवेशकों को अपेक्षाकृत स्थिर रिटर्न देते हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, मल्टी एसेट फंड को कम से कम तीन अलग-अलग एसेट क्लास में हर समय कम से कम 10% निवेश बनाए रखना अनिवार्य है। इसका लाभ यह होता है कि निवेशक को अलग-अलग फंड में पैसा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि एक ही फंड से विविधता मिल जाती है।
यह फंड विशेष रूप से उन निवेशकों के लिए आदर्श हैं...
हालांकि, ध्यान देने योग्य बात यह है कि गोल्ड और इक्विटी जैसे एसेट क्लास में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इसलिए निवेश से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता, आय और वित्तीय लक्ष्य के अनुसार योजना बनाना जरूरी है।