
डिजिटल डेस्क। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लेबर लॉ में बड़े बदलाव करते हुए 29 श्रम कानूनों को महज चार तक सीमित कर दिया है। श्रम कानून में लागू किए गए सुधारों में एक अहम बदलाव ग्रेच्युटी से जुड़ा भी है। इसके तहत अब ग्रेच्युटी पाने के लिए पांच साल नौकरी करना जरूरी नहीं रहेगा। अब सिर्फ सिर्फ एक साल की सेवा के बाद ही कर्मचारी ग्रेच्युटी लाभ के योग्य हो जाएगा।
सरकार ने बताया कि इस फैसले की वजह रिटायरमेंट बेनिफिट्स को बढ़ाना और ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने के तरीके में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी लाना है। ये बदलाव फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के लिए खास तौर पर जरूरी हैं, जिन्हें अब नौकरी छोड़ने पर बेहतर फाइनेंशियल सिक्योरिटी मिलेगी। आइए एक नजर डालते हैं ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन कैसे किया जाता है।
ग्रेच्युटी = (आखिरी वेतन × 15 × कुल सेवा के साल) / 26
यह गणना हर पूरे साल की सेवा के बदले 15 दिन की सैलरी पर आधारित होती है। आखिरी वेतन में बेसिक पे और महंगाई भत्ता (DA) शामिल होता है। यदि कर्मचारी ने आखिरी साल में 6 महीने से ज्यादा काम किया है, तो उस साल को अगला पूरा साल मान लिया जाता है।
मान लीजिए आपकी आखिरी सैलरी ₹30,000 थी, तो ग्रेच्युटी इतनी होगी।
ग्रेच्युटी = (30000 × 15 × 1) / 26
ग्रेच्युटी = ₹17,307
इस तरह 30,000 रुपये सैलरी पर 1 साल की नौकरी के लिए आपको ₹17,307 रुपये ग्रेच्युटी मिलेगी।
यदि तीन साल की नौकरी के बाद आपकी आखिरी सैलरी 40,000 रुपये हो जाती है, तो ग्रेच्युटी इतनी हो जाएगी।
ग्रेच्युटी = (40000 × 15 × 3) / 26
ग्रेच्युटी = ₹69,230
यानी 40,000 रुपये की सैलरी पर 3 साल की सेवा के लिए आपको लगभग ₹69,230 ग्रेच्युटी मिलेगी।