RBI ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, उपभोक्ताओं को पिछली कटौती का मिलेगा फायदा
आरबीआई को भरोसा है कि अच्छे मानसून, गांवों में बढ़ती मांग और इन्फ्लेशन को देखते हुए परिस्थितियां अनुकूल बनी रहेंगे। ऐसे में दरों में कोई बदलाव न लाना आरबीआई के संतुलित रवैये को दर्शाता है।
Publish Date: Fri, 08 Aug 2025 06:05:41 PM (IST)
Updated Date: Fri, 08 Aug 2025 06:17:03 PM (IST)
संजय मलहोत्रा, आरबीआई गवर्नर।HighLights
- बैंक ब्याज मार्जिन आरक्षित रहेगा। क्रेडिट विस्तार सपोर्ट करेंगे।
- आने वाले समय में भी यह इसी तरह से मजबूत ही बनी रहेगी।
- इसके अलावा त्योहारों के सीज़न में मांग और अधिक बढ़ेगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को घोषणा की कि उसने अपनी प्रमुख रेपो दर को 5.50% पर अपरिवर्तित रखा है। इस कदम की व्यापक रूप से उम्मीद थी, क्योंकि नीति निर्माताओं ने बढ़ती वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच हालिया ब्याज दरों में कटौती के प्रभाव का आकलन करने और प्रतीक्षा करने का विकल्प चुना था।
सीपीआई इन्फ्लेशन लगतार निचले स्तर पर बना हुआ है, जून में यह छठे साल के नीचले स्तर 2.1 फीसदी पर पहुचं गया।
आरबीआई को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 26 के दौरान साल भर इन्फ्लेशन रेट 3.1 फीसदी पर बनी रहेगी। विकास की बात करें तो वित्तीय वर्ष 25-26 में जीडीपी की विकास दर 6.5 फीसदी पर स्थिर बनी रहने का अनुमान है।
लोन देने वाले बैंकों की बात करें तो लिक्विडिटी के स्थिर और संतुलित बने रहने से उन्हें स्पष्ट योजना बनाने में मदद मिलेगी।
इससे पहले सीआरआर में कटौती के कारण लिक्विडिटी में सुधार हुआ था और अब रेपो रेट में कोई बदलाव न होने से बैंकों का ब्याज का मार्जिन आरक्षित रहेगा और वे क्रेडिट विस्तार को सपोर्ट करेंगे।
ऋण की लागत में स्थिरता और रेट में पहले हुई कटौती के कारण खासतौर पर मिड एवं अफॉर्डेबल सेगमेन्ट में हाउसिंग की मांग बढ़ी, आने वाले समय में भी यह इसी तरह से मजबूत बनी रहेगी। इसके अलावा त्योहारों के सीज़न में मांग और अधिक बढ़ेगी।
लोन लेने वाले उपभोक्ताओं को रेट में हुई पिछली कटौती का फायदा मिलता रहेगा क्योंकि इस कारण घर अधिक अफॉर्डेबल हुए हैं।
अतुल मोंगा- सीईओ एवं सह-संस्थापक, बेसिक होम लोन के अनुसारविश्वस्तरीय तनाव के बावजूद आरबीआई को भरोसा है कि अच्छे मानसून, गांवों में बढ़ती मांग और इन्फ्लेशन को देखते हुए परिस्थितियां अनुकूल बनी रहेंगे।
ऐसे में दरों में कोई बदलाव न लाना आरबीआई के संतुलित रवैये को दर्शाता है। हालांकि अभी जल्दी रेट में कटौती के कोई संकेत नहीं हैं, लेकिन अगर इन्फ्लेशन कम रहा और बाहरी दबाव बढ़ा है तो कटौती की जा सकती है।