
बिजनेस डेस्क। नौकरी करने वालों के लिए हर महीने आने वाली सैलरी स्लिप सिर्फ एक कागज नहीं, बल्कि आपकी कमाई, कटौतियों और टैक्स प्लानिंग का पूरा ब्लूप्रिंट होती है। फिर भी, ज्यादातर लोग इसे सरसरी नजर से देखकर छोड़ देते हैं क्योंकि इसमें भरे शॉर्ट फॉर्म, संख्याएं और अलग-अलग अलाउंस आम लोगों को उलझन में डाल देते हैं। दिलचस्प बात यह है कि सैलरी स्लिप में आपकी इनकम और PF-ESI जैसे फैक्ट तो दिखते हैं, लेकिन इसके कई अहम पहलू ऐसे होते हैं, जिनका असर सीधे आपकी जेब पर पड़ता है और टैक्स बचत पर भी।
यहां हम बता रहे हैं 5 ऐसी जरूरी बातें, जिन्हें आपकी सैलरी स्लिप खुलकर नहीं बताती, लेकिन जिनके बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
सैलरी स्लिप में HRA, LTA, स्पेशल अलाउंस या कन्वीनियंस अलाउंस जैसी कई मदें दिखाई देती हैं। लेकिन स्लिप यह नहीं बताती कि इनमें से कौन-सा हिस्सा टैक्स-फ्री है और कौन-सा पूरी तरह टैक्सेबल।
उदाहरण के लिए-
हाथ में आने वाली रकम देखकर कई लोग मान लेते हैं कि यही उनकी टैक्सेबल इनकम है। असल में टेक-होम सिर्फ नेट सैलरी दिखाती है। टैक्सेबल इनकम में शामिल होते हैं। एम्प्लॉयर का PF योगदान (7.5 लाख/वर्ष से ऊपर टैक्स योग्य), पर्क्विज़िट्स जैसे कंपनी कार, रेंट-फ्री हाउसिंग, फ्री मील्स, बोनस जो अभी मिला नहीं लेकिन देय है। यही वजह है कि सैलरी स्लिप और Form 16 के आंकड़े अक्सर अलग दिखाई देते हैं।
सैलरी स्लिप में EPF, TDS और प्रोफेशनल टैक्स जैसे अनिवार्य कटौती दिखती हैं, लेकिन यह नहीं पता चलता कि आप टैक्स बचाने के लिए क्या-क्या क्लेम कर सकते हैं। जैसे PPF, ELSS, LIC प्रीमियम, बच्चों की स्कूल फीस (80C), हेल्थ इंश्योरेंस (80D), होम लोन ब्याज (24B), डोनेशन (80G)। अगर आपने समय पर HR में निवेश के प्रमाण जमा नहीं किए, तो ये सैलरी स्लिप पर नजर ही नहीं आते।
सैलरी स्लिप में दिखने वाला TDS सिर्फ अस्थायी टैक्स कटौती है। आपकी अंतिम टैक्स लायबिलिटी ITR भरते समय तय होती है, जब सभी आय स्रोत और सभी डिडक्शन जोड़े जाते हैं। इसलिए टैक्स ज्यादा भी बन सकता है या रिफंड भी मिल सकता है। सिर्फ TDS देखकर निश्चिंत हो जाना सही नहीं।
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आजकल दो टैक्स सिस्टम हैं पुरानी और नई व्यवस्था। लेकिन सैलरी स्लिप यह नहीं बताती कि आपकी टैक्स कटौती किस व्यवस्था के हिसाब से हो रही है।
साल की शुरुआत में किया गया यह चुनाव आपके टेक-होम, कुल टैक्स दोनों को काफी बदल देता है। कई कर्मचारी तुलना किए बिना ऑप्शन चुन लेते हैं और अनजाने में ज्यादा टैक्स दे बैठते हैं।
आपकी सैलरी स्लिप सिर्फ यह नहीं दिखाती कि आपने कितना कमाया या कितना कट गया, यह आपके टैक्स, बचत और फाइनेंशियल प्लानिंग को सीधे प्रभावित करती है। अगर आप इसकी छिपी बातों को समझ लें, तो न सिर्फ टेक-होम सैलरी का बेहतर इस्तेमाल कर पाएंगे, बल्कि सालभर में अच्छी-खासी टैक्स बचत भी कर सकेंगे।
(एक्सपर्ट- गौरव जैन, डायरेक्ट टैक्स, फोर्विस मजार्स इन इंडिया)