महेश नटानी, इंदौर (Long Term Investment)। ‘दीर्घ अवधि के लिए किया निवेश सफलता की गारंटी देता है’... निवेश के इस सिद्धांत पर अब सवाल उठ रहे हैं। इसके पीछे भी कई अहम कारण हैं जो इस बात भरोसा करने की वजह दे रहे हैं कि दीर्घ अवधि का निवेश लाभ की गारंटी सदैव नहीं हो सकता।
पहला कारण है बिजनेस प्रैक्टिस यानी कारोबार का बदलता तरीका। बीते दौर में बिजनेस के नए मॉडल से साबित भी हुआ है कि कई कंपनी जो बेहतरीन मानी जाती थी उनका प्रदर्शन अपेक्षा से कमजोर रहा। जैसे वालमार्ट के प्रदर्शन पर क्विक कामर्स कंपनियों ने विपरीत असर डाला।
व्यापार के बदले तरीके में कई नई कंपनियां अपनी जगह बनाने और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को बढ़ाने में वर्षों तक मेहनत करने की बजाय बहुत कम मार्जिन में उपभोक्ता को लुभाने में जुट जाती है।
इससे उनके समानांतर पुरानी कंपनियों का प्रदर्शन भी प्रभावित हो जाता है। पेंट उद्योग में छिड़े युद्द में यह इन दिनों दिख रहा है।
निफ्टी सूचकांक 27 सितंबर 2024 को 26277 पर था। 21 मई 2015 को 24813 पर रहा। इस सूचकांक को तय करने वाली लार्ज बेस कंपनियों ने 8 माह में 5 प्रतिशत नकारात्मक प्रदर्शन किया। इसी तरह मिड और स्माल कैप में निवेश करने वालों को बीते सितंबर से अब तक 30 से 40 प्रतिशत घाटा हुआ।
(महेश नटानी)
ऐसे में निवेशकों को उनकी रणनीति बदलना होगी। लिहाजा निवेशकों को अब लंबे समय के लिए पैसा लगाने के लिए शार्ट टर्म बेसिस पर निवेश करना होगा। साथ ही अपने हाथ में तरलता भी रखना होगी ताकि सही समय पर सही निवेश मौके को भुना सकें। आज के दौर में लग रहा है कि डिलीवरी बेस ट्रेडिंग होल्डिंग बेस लंबे समय के निवेश से ज्यादा लाभप्रद हो गई है। बदले परिदृश्य और कंपनियों व व्यापार के तौर तरीके बदलने के साथ शेयर बाजार पर भी इस बदलाव का असर पड़ा है।
(महेश नटानी मध्य प्रदेश के इंदौर में वित्त विश्लेषक हैं।)