ओमाहा-अमेरिका। अमेरिकी निवेशक और दुनिया की सबसे अमीर हस्तियों में शामिल वॉरेट बफे आजकल जिस समस्या का सामना कर रहे हैं, हममें से कई लोग उस समस्या को गले लगाना चाहेंगे। दरअसल वॉरेन बफे के पास करीब 73 अरब डॉलर (4862 अरब रुपए) की नकदी जमा हो चुकी है और वह दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। इतनी नकदी रकम वॉरेन बफे के पास कभी जमा नहीं हुई।
बफे को 90 अलग-अलग तरह के करोबारों से मासिक करीब 1.5 अरब डॉलर (100 अरब रुपए से अधिक) नकदी रकम प्राप्त होती है। वॉरेन बफे पूरे के पूरे कारोबार को खरीदते हैं, लाखों शेयरों की खरीद फरीख्त करते हैं और कंपनियों में निवेश करते हैं। जिन कंपनियों में वह निवेश करते हैं वे बर्कशायर के मालिकाना हक वाली भी हो सकती हैं जैसे कि बीएनएसफ रेलरोड, बर्कशायर हाथवे एनर्जी।
इसलिए नकदी बनी है बफे की समस्या
बफे हमेशा कहते हैं कि वे बर्कशायर के पैमानों में फिट हो सकने वाली कंपनियों का ही अधिग्रहण करते हैं।
किसी भी कंपनी के लिए वह उतनी ही कीमत चुकाएंगे जितनी कि वह काबिल है।
फिलहाल वॉरेन बफे के पास उनकी कसौटी पर खरे उतरने वाले कोई ऑफर नहीं है।
जब तक बफे को कोई शानदार टारगेट नहीं मिल जाता जो करते आ रहे हैं, वही करते रहेंगे। यानी कि कभी कभार फोन कॉल ले लेना, ज्यादा बिजनेस रिपोर्ट्स पढ़ना और सही दांव लगाने का इंतजार करना।
नकदी के ढेर पर बैठने की ऐसे हुई शुरुआत
जनवरी में विमानन संबंधी निर्माण कार्य करने वाली कंपनी प्रीसीजन कास्टपार्ट्स से बर्कशायर ने 32.36 अरब डॉलर की डील की थी। यह बर्कशायर के इतिहास का सबसे बड़ा अधिग्रहण था। तब से बफे नकदी के ढेर पर बैठे हुए हैं। वैसे बर्कशायर के पास जितना भी नकदी है, वह सब की सब उपलब्ध नहीं है। कंपनी को अपने पास कम से कम 20 अरब डॉलर नकदी रखनी ही है ताकि बर्कशायर की बीमा कंपनियां इस पैसे को किसी बड़े क्लेम या किसी और जरूरत के समय इस्तेमाल कर सकें। अभी ब्याज दरों को लेकर जो माहौल है उसमें बर्कशायर अपने पास इकट्ठा नकदी से ज्यादा ब्याज नहीं कमा पा रहा।
नकदी की अहमियत संकट में
वैसे भी बर्कशायर के शेयरधारक नकदी के ढेर की कीमत जानते हैं, 2008 की मंदी में वह देख चुके हैं। 2008 की मंदी के समय बफे ने गोल्डमैन सैक्स, जनरल इलेक्ट्रॉनिक, हॉर्ली डेविडसन और कई अन्य को तगड़ी ब्याज दरों पर अरबों डॉलर की वित्तीय मदद की पेशकश की थी।
ये हैं वॉरेन बफे
सोच समझकर निवेश करने वाले, कंजूस और परोपकारी
वॉरेन एडवर्ड बफे 30 अगस्त 1930 को ओमाहा (अमेरिका), नेब्रास्का में पैदा हुए अमेरिकी निवेशक, व्यवसायी और परोपकारी व्यक्तित्व हैं। उन्हें शेयर बाजार की दुनिया के सबसे महान निवेशकों में से एक माना जाता है। बर्कशायर हाथवे कंपनी के सीईओ और सबसे बड़े शेयरधारक अथाह संपत्ति होने के बावजूद बफे को उनके मूल्य परस्त निवेश के सिद्धांत और व्यक्तिगत कंजूसी के कारण जाना जाता है।
वह आज भी ओमाहा के सेंट्रल डुडी के पड़ोस के उसी मकान में रह रहे हैं जो उन्होंने 1958 में 31,500 डॉलर में खरीदा था, जिसकी कीमत आज 7 लाख डॉलर है। बफे एक विख्यात परोपकारी भी हैं। 2006 में उन्होनें अपनी संपत्ति को दान में देने की योजना घोषणा की थी, जिसके अनुसार 83 प्रतिशत बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को जाना था।