EPFO Family Pension: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा देता है। कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन और पीएफ का लाभ प्राप्त होता है। इससे नौकरी पूरी होने के बाद बिनी किसी समस्या के हर महीने पेंशन का लाभ उठा सकें। यह फायदा कर्मचारी की मृत्यु के बाद भी बंद नहीं होता, बल्कि फैमिली पेंशन के रूप में आश्रितों को भी प्रदान किया जाता है।
ईपीएफ कर्मचारियों को पेंशन और पीएफ स्कीम का लाभ प्रदान करवाता है। इसके लिए नौकरीपेशा के सैलरी से हर महीने 12 फीसदी योगदान EPF में जाता है। कुछ योगदान सरकार की तरफ से भी होता है, जो बेसिक पेंशन से अधिक नहीं होता। ईपीएफ सर्विस मेंबर के देहांत के बाद उसके घरवालों को पेंशन मिलती है।
ईपीएफए से पंजीकृत कर्मचारी जिनकी सर्विस या पेंशनर होने पर मौत हो जाती है। ऐसे में उनकी पत्नी और बच्चों को पेंशन का लाभ प्रदान किया जाता है। अगर उनका देहांत सर्विस पीरियड में होता है, तो ऐसे में पत्नी को एक हजार रुपये तक की विधवा पेंशन प्राप्त होगी। यदि पेंशनर की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी पेंशन का 50% पत्नी या पति को मिलता है।
कर्मचारियों को पेंशन का लाभ प्राप्त करने के लिए आयु 50 साल से अधिक होनी चाहिए। साथ ही कम से कम 10 साल की सर्विस करना जरूरी है। अगर कर्मचारी 9 वर्ष छह माह नौकरी करते हैं तो उनकी सर्विस 10 साल ही मानी जाती है। वहीं कर्मचारी को 50 से 58 साल के बीच पेंशन चुनने का ऑप्शन दिया जाता है।
- कर्मचारी के बाद उनकी पेंशन के हकदार उनके पति या पत्नी में से कोई एक और उनके बच्चे होते हैं।
- अगर कर्मचारी अविवाहित है तो उनके परिवार में नॉमिनी को लाभ मिलता है।
- कर्मचारी के जीवनसाथी के ना होने पर उनके बच्चों को 25 साल की आयु पूरी होने तक पेंशन का 75% प्रदान किया जाता है।
- अगर कर्मचारी के बच्चे दिव्यांग हैं तो पेंशन का लाभ जीवनभर दिया जाता है।
- कर्मचारी के निधन के बाद पत्नि को 1000 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है।
- नॉमिनी न होने पर कर्मचारी के माता-पिता को पेंशन दी जाती है।
अगर किसी कर्मचारी की दो पत्नी है। तब ऐसे में पेंशन का हक उसकी पहली पत्नी को दिया जाता है। पहली पत्नी के देहांत के बाद पेंशन दूसरी पत्नी को मिलती है।