नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। जीएसटी के मासिक रिटर्न फार्म जीएसटीआर-वन में फिर से बदलाव हुआ है। मई माह के कारोबार के लिए दाखिल होने वाले रिटर्न फार्म में नया नियम लागू कर दिया गया है। जीएसटी नेटवर्क ने एडवायजरी जारी की है कि अब व्यापारी से व्यापारी की आपूर्ति और व्यापारी से उपभोक्ता के बीच हुए व्यापार का रिटर्न में अलग-अलग ब्योरा देना होगा।
इन दोनों आपूर्तियों को एचएसएन कोड के जरिए बांट कर जानकारी भरनी होगी। व्यापारी निर्देश से हैरान हैं। कर सलाहकारों ने भी सिर पकड़ लिया है। वे कह रहे हैं कि व्यापारी व्यापार करे या रिटर्न की खानापूर्ति ही करता रहे। जीएसटी के अंतर्गत हर वस्तु के लिए एक कोड बनाया गया है, जिसे एचएसएन कोड कहा जाता है।
व्यापारी जब रिटर्न दाखिल करता है तो उसमें वस्तु के नाम के साथ उसका कोड भी अंकित करता है। साथ में कुल कितनी खरीद-बिक्री हुई है, यह दर्शाकर टैक्स चुका देता है। कोड के जरिए जीएसटी विभाग को पता चल जाता है कि वस्तु पर लागू टैक्स की दर क्या है। जीएसटी विभाग अपने पोर्टल और जीएसटी के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर खुद डेटा का विभक्तीकरण कर सकता है लेकिन अब करदाताओं से वह इसमें छंटनी की अपेक्षा कर रहा है।
मप्र टैक्स ला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट अश्विन लखोटिया के अनुसार मंगलवार को ही जीएसटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख थी। इसी महीने निर्देश जारी किए और अब रिटर्न में उसका पालन अनिवार्य कर दिया गया।
हर रिटर्न को दाखिल करने में पहले के मुकाबले चार गुना तक समय लग रहा है। जीएसटी में दावा किया गया था कि व्यापारी हितैषी प्रणाली होगी, इसमें आसानी से खुद व्यापारी रिटर्न दाखिल कर सकेगा। लेकिन हो यह रहा है कि रिटर्न दाखिल करना व्यापारी क्या अकाउंटेंट के बस की बात नहीं रही। कर सलाहकार-सीए भी बड़ी मुश्किल से रिटर्न दाखिल कर पा रहे हैं।
इससे पहले कर सलाहकार संगठनों ने आयुक्त राज्य जीएसटी धनराजू एस. के नाम ज्ञापन सौंपा था। रिटर्न दाखिल करने में हो रही परेशानी की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा था कि जीएसटी के निर्देशों में इतने बदलाव किए जा रहे हैं कि करदाता तो ठीक, कर पेशेवर भी संशय में हैं कि नियम क्या है और क्या बदलाव हो गया?
ताजा बदलाव भी ऐन वक्त पर किया गया। 10 जून को एक आदेश जारी हुआ कि पांच करोड़ से कम टर्नओवर वाले पर नए निर्देश का असर नहीं होगा लेकिन पोर्टल पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दिखी।