कड़ी मेहनत से अर्जित रकम किसी रियल्टी प्रोजेक्ट में लगाना हमेशा मुश्किल काम रहा है। यह दिक्कत तब और बढ़ जाती है, जब आप प्री-लांचिंग स्टेज में या लॉन्च स्टेज में पैसा लगा बैठते हैं। ऐसे में हो सकता है कि आप कभी न जान पाएं कि मकान कब मिलेगा। लेकिन, तमाम जोखिम के बावजूद निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के कुछ फायदे भी हैं।
इनमें से पहले दो चरणों में पैसा लगाना जोखिम भरा काम है, लेकिन कीमत कम बैठती है। इसके उलट बाद के चरणों में जोखिम कम या नहीं के बराबर है, लेकिन तैयार प्रोजेक्ट के मकान महंगे पड़ते है।
रियल्टी बिजनेस में इसे सॉफ्ट लॉन्च स्टेज के तौर पर भी जाना जाता है। चूंकि इस चरण में ढेरों मंजूरियां लेनी पड़ती हैं, लिहाजा निवेश जोखिम भरा हो सकता है। सीधी सी बात है कि प्रोजेक्ट के लिए आगे की राह सरकारी अधिकारियों के हाथ में होती है इसलिए इस चरण में निवेश करने से आपकी मेहनत की कमाई जोखिम में पड़ सकती है। संभवतः यही वजह है कि कीमतों में भारी अंतर होता है। मतलब यह कि प्रोजेक्ट का काम जिस हिसाब से आगे बढ़ता जाता है, कीमतें भी उसी तरीके से ज्यादा होती जाती हैं। इस लिहाज से प्री-लॉन्च स्टेज में पैसा लगाने में जोखिम तो है, लेकिन फायदे की संभावना भी ज्यादा रहती है।
बिल्डर की साख
प्री-लॉन्च स्टेज में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले बिल्डर की साख पता कर लेना सबसे अच्छी बात होती है। बिल्डर की पृष्ठभूमि जानने के लिए थोड़ी रिसर्च करें और यह पता करें कि प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने के मामले में उसका ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है। यह सब जानने के लिए बिल्डर के पिछले प्रोजेक्ट्स के बारे में तमाम जानकारियों खंगाली जा सकती हैं। बेहतर यही होगा कि बिल्डर के ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में पूरी तरह इत्मिनान होने के बाद ही निवेश करें।
दाम की तुलना
प्री-लॉन्च स्टेज में पैसा लगाने से पहले थोड़ी मेहनत और करनी चाहिए। उसी इलाके के अन्य प्रोजेक्ट के साथ उसके पूंजीगत मूल्य की तुलना करें। ऐसा करने से यह पता चल जाएगा कि कीमत वाजिब रखी गई है या नहीं। यदि बिल्डर प्रति वर्ग फुट ज्यादा कीमत मांग रहा है, तो तुलनात्मक अध्ययन से हासिल की गई जानकारी को मोल-भाव का आधार बनाएं।
अपनी जरूरत पर गौर
अंत में यह देखें कि बिल्डर ने अपने दूसरे प्रोजेक्ट्स में किन चीजों पर फोकस किया है। कुछ प्रोजेक्ट्स में बड़े मकान की पेशकश की जा सकती है और कुछ में आधुनिक दौर की तमाम सुविधाओं का दावा किया जा सकता है। लेकिन पैसा अपनी जरूरतों के हिसाब से सबसे सटीक बैठने वाले प्रोजेक्ट की यूनिट में लगाना चाहिए। केवल बिल्डरों के प्री-लॉन्च ऑफर्स पर भरोसा न करें।
प्रॉपर्टी में निवेश के लिए यह चरण सबसे बेहतर माना जाता है। ऐसे प्रोजेक्ट में पैसा लगाना ज्यादा सुरक्षित होता है, जिसकी अभी-अभी आधिकारिक घोषणा की गई हो और जिसके बिल्डर का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत बढ़िया रहा हो। प्रोजेक्ट के इस स्टेज में प्रॉपर्टी डेवलपर ने तमाम तरह की मंजूरियां ले रखी होती हैं और वह बिल्डिंग पर काम शुरू कर चुका होता है। इस स्टेज में कीमत ज्यादा नहीं होती। दूसरी तरफ इस बात की तगड़ी संभावना बनी रहती है कि काम जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा पूंजी की वैल्यू बढ़ती चली जाएगी। धीरे-धीरे प्रोजेक्ट पूरा होने का समय नजदीक आ जाता है और यदि मकान सही समय पर मिल गया तो निवेशक बजट के दायरे में रहकर लगाए गए पैसे का इस्तेमाल करने की स्थिति में होता है।
किसी रियल्टी प्रोजेक्ट के इस चरण में पैसा लगाना सबसे कम जोखिम वाला निवेश माना जाता है। चूंकि बिल्डिंग करीब-करीब तैयार हो चुकी होती है, लिहाजा इस बात की संभावना ज्यादा रहती है कि बिल्डर ग्राहक को जल्द प्रॉपर्टी सौंप देगा। लेकिन, इस स्टेज में मकान खरीदना बहुत महंगा पड़ता है। जिन प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाता है, उनमें मकानों के दाम प्री-लॉन्च स्टेज में कीमतों के मुकाबले बहुत अधिक होते हैं। अब यह ग्राहक को तय करना है कि वह किस मकसद से प्रॉपर्टी खरीदना चाहता है, रहने के लिए या फिर महज निवेश के तौर पर। इस स्टेज में पैसा लगाना वैसे लोगों के लिए बिलकुल मुफीद है जो तत्काल इस्तेमाल के लिए मकान लेना चाहते हैं।
जिन लोगों को मकान खरीदना होता है, उनके जेहन में एक दुविधा होती है। अक्सर यह फैसला करना मुश्किल होता है कि बिलकुल नई प्रॉपर्टी खरीदी जाए या फिर पुराने फ्लैट पर गौर किया जाए। इसका निर्णय एक हद तक निजी मसला माना जाता है, फिर भी री-सेल प्रॉपर्टी खरीदने के अपने फायदे हैं। ऐसे में पहले से बसा-बसाया इलाके में मकान मिल जाता है। दूसरा फायदा यह है कि ग्राहक को पहले से पूरा पता होता है कि वह किस तरह की प्रॉपर्टी ले रहा है और उसकी क्या खूबियां और खामियां हैं। नए प्रोजेक्ट में इस बात की आशंका बनी रहती है कि मकान बिलकुल वैसा ही न हो जैसा कि बिल्डर ने वादा किया था। इस लिहाल से कुछ कमियों के बावजूद री-सेल प्रॉपर्टी खरीदना बेहतर माना जाता है।