नईदुनिया न्यूज, प्रतापपुर: क्षेत्रवासियों की वर्षों की प्रतीक्षा अब पूरी हो चुकी है। 11 करोड़ 50 लाख 61 हजार की लागत व 7.20 किलोमीटर लंबे प्रतापपुर-चंदौरा मार्ग के जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण हो गया है। वर्षाकाल के समाप्त होते ही मार्ग में डामरीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया था जो अब पूरा हो चुका है। मार्ग बनने के बाद मार्ग के दोनों किनारों पर बने टेंपरों को भरने मुरूम डालने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। यह मार्ग अंबिकापुर से बनारस जाने वालों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। प्रतापपुर-चंदौरा मार्ग का जीर्णोद्धार इन लोगों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है। अब यदि पोड़ी मोड़ से बनारस मार्ग पकड़ने की बजाए अच्छी स्थिति वाले खड़गवां मार्ग से प्रतापपुर होते हुए चंदौरा चौक से जाने पर बनारस जाने वालों को लगभग 13 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी, साथ ही समय की भी बचत होगी।
बता दें कि प्रतापपुर से चंदौरा तक जाने वाला महज सात किलोमीटर की दूरी वाला यह मार्ग दशकों तक धूल व गड्ढों से पटा रहा। मार्ग के जीर्णोद्धार के लिए कई आंदोलन हुए। पूर्व की सरकारों में मंत्री रहे स्थानीय नेताओं से लेकर कलेक्टर तक से मार्ग की दशा सुधारने कई बार गुहार लगाई गई। नईदुनिया भी प्रतापपुर-चंदौरा मार्ग के मुद्दे को समाचार के माध्यम से बार बार उठाता रहा पर इस दिशा में किसी ने भी कोई ठोस पहल नहीं की। काफी जद्दोजहद के बाद पूर्व की कांग्रेस सरकार में मार्ग के जीर्णोद्धार की स्वीकृति मिली। टेंडर भी जारी हुआ तो क्षेत्रवासियों में मार्ग के सुधार की उम्मीद जगी पर यह उम्मीद उस समय धरी रह गई जब तकनीकी कारणों से टेंडर निरस्त हो गया और मार्ग का जीर्णोद्धार कार्य अधर में लटक गया। इसके बाद 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी शकुंतला सिंह पोर्ते द्वारा की गई घोषणा पर जीत के बाद अमल करते हुए प्रतापपुर-चंदौरा मार्ग का नए सिरे से टेंडर करा पीडब्ल्यूडी को जीर्णोद्धार करने के निर्देश दिए। मार्ग का कार्य पूर्ण हो जाने से क्षेत्रवासियों ने दशकों के लंबे इंतजार के बाद राहत की सांस ली है।
वर्षाकाल में मार्ग हो जाता था बंद-
बता दें कि प्रतापपुर-चंदौरा मार्ग की हालत इतनी ज्यादा दयनीय थी कि वर्षाकाल शुरू होते ही मार्ग पर बने बड़े बड़े गड्ढों में पानी व कीचड़ भर जाता था। पानी से भरे गड्ढे अघोषित तालाब का रूप धारण कर लेते थे। जिसके कारण मार्ग में चलने वाली स्कूल बसें, यात्री बसें व छोटे वाहनों का आना जाना लगभग बंद हो जाता था। वाहनों को चंदौरा जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेना पड़ता था। इसके कारण समय की बर्बादी होने के साथ ही वाहनों का अतिरिक्त ईंधन खर्च होने से आर्थिक नुकसान भी होता था। पर अब मार्ग के चकाचक हो जाने से छोटे बड़े वाहनों को भी अच्छी खासी राहत मिली है।