Ambikapur News: जाली नोट के साथ गिरफ्तार आरोपित को एनआईए कोर्ट ने दी पांच साल की सजा
Ambikapur News: अर्थदंड की राशि अदा न होने पर उसे प्रत्येक धारा के अपराध के लिए व्यतिक्रम में छह - छह माह का कारावास भुगतना होगा जो मूल कारावास की अवधि की समाप्ति के उपरांत भुगताया जाएगा। मूल कारावास की सजाएं एक साथ चलेंगी।
Publish Date: Wed, 25 Jun 2025 07:57:23 PM (IST)
Updated Date: Wed, 25 Jun 2025 08:01:50 PM (IST)

नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर। विशेष न्यायाधीश (एनआइए) केएल चरयाणी की अदालत ने जाली नोट के साथ गिरफ्तार आरोपित को पांच वर्ष सश्रम कारावास और 10- 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। आरोपित कपिल गिरी (46) तुरियाबीरा लुंड्रा का रहने वाला है। प्रधान डाकघर अंबिकापुर में उसने असली नोटों के साथ 500 - 500 के 58 जाली नोट खपाने का प्रयास किया था। उसे पता था कि ये सभी जाली नोट हैं इसके बावजूद उसने असली नोटों के बंडल में जाली नोटों को मिला दिया था।
![naidunia_image]()
- इस घटना की रिपोर्ट अंबिकापुर प्रधान डाकघर के तत्कालीन नायब पोस्टमास्टर ने कोतवाली थाने में दर्ज कराई थी।
- 14 मई 2024 को आरोपित कपिल गिरी ने प्रधान डाकघर में लगभग एक लाख रुपये जमा करने जमा पर्ची भरकर दिया था।
- इसमें से 500 रुपये के 58 नोट कीमत 29,000 रुपये जाली पाए गए थे। उक्त नोटों को काउंटिंग मशीन द्वारा पृथक कर दिया जा रहा था।
- इसी आधार पर आरोपित के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 489 ख व 489 ग के तहत प्राथमिकी की गई थी।
- पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया था। विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।
- विचारण के दौरान न्यायालय ने पाया कि 29,000 रुपये मूल्य के 500-500 रुपये के 58 नोट उसके पास थे।
- यदि नोटों की संख्या एक या दो रहती और उसका यह स्पष्टीकरण रहता कि अन्य नोटों के साथ ये एक या दो नोट उसे किसी अन्य से मिले या किसी लेनदेन में उसने उन्हें प्राप्त किया तब शायद स्थिति दूसरी हो सकती थी।
किंतु 58 नोट जो उसके आधिपत्य में मिले इस संबंध में अभियुक्त ने कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया।
न्यायालय ने कहा है कि समग्र परिस्थितियों के प्रकाश में यह तो नहीं कहा जा सकता कि दोषसिद्ध कपिल गिरी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसके पास 500-500 रुपये मूल्य के जो 58 नोट हैं वे नकली हैं न ही उसने इस संबंध में कोई भी स्पष्टीकरण ही दिया है।
यह अवश्य है कि उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि या पूर्व की दोषसिध्दि के संबंध में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।
ऐसे में उसे धारा489 ख के अपराध के लिए पांच वर्ष के कठोर कारावास एवं 10,000 रुपये के अर्थदंड तथा धारा 489 ग के अपराध के लिए पांच वर्ष के कठोर कारावास एवं 10,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है। एनआईए न्यायालय के रूप में अधिसूचित होने पर अंबिकापुर में सुनवाई
इस प्रकरण को पहले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबिकापुर के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। सत्र न्यायालय द्वारा विचरण योग्य होने से प्रकरण को सत्र न्यायाधीश अंबिकापुर के यहां प्रेषित किया गया था।प्रकरण में आरोपित अपराध का विचारण राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय द्वारा होने के कारण पूर्व में यह प्रकरण बिलासपुर स्थित एनआइए न्यायालय को प्रेषित किया गया था। बाद में राज्य शासन की अधिसूचना व छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अनुसार सत्र न्यायालय अंबिकापुर को एनआइए न्यायालय के रूप में अधिसूचित किए जाने के कारण प्रकरण बिलासपुर न्यायालय से अंतरण पर इस न्यायालय को प्राप्त हुआ तथा विशेष आपराधिक प्रकरण (एनआइए) के रुप में प्रकरण का पंजीयन कर विचारण प्रारंभ किया गया। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने फैसला सुनाया।