अंबिकापुर। Ambikapur News: वन विभाग ने अंबिकापुर के संजय पार्क में 50 से अधिक चीतलों को कई सालों से एक बाड़े में कैद कर रखा है। जंगल के जानवरों को निश्चित क्षेत्र में कैद कर रख लेने से ये पालतू हो गए हैं, जिस स्थान पर बाड़ा बनाया गया है वहां प्राकृतिक रूप से चारा और पानी की व्यवस्था नहीं है। समय-समय पर चीतलों को घास और पानी दिया जाता है। संजय पार्क में घायल वन्य प्राणियों को रखने रेस्क्यू सेंटर की व्यवस्था की गई थी, इसी व्यवस्था के तहत शुरुवात में एक-दो चीतलों को लाकर रखा गया था और अब चीतलों का कुनबा बढ़ता चला जा रहा है। संजय पार्क में चीतलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। बाड़े का दायरा कम होता जा रहा है इसके बावजूद वन विभाग द्वारा चीतलों को जंगल में छोड़ने की व्यवस्था नहीं की जा रही है। सेंट्रल जू अथॉरिटी से बगैर अनुमति यहां वन्य प्राणियों को रखा गया है। वन विभाग ने संजय पार्क में व्यवस्था संचालन और देखरेख की जबाबदारी शंकर घाट वन प्रबंधन समिति को दी है।
पार्क में आने वाले लोगों से लिए जाने वाले शुल्क से ही समिति वन्य प्राणियों के चारा-पानी सहित दूसरी जरूरतों की पूर्ति करता है। कोरोना काल में पार्क भी कई महीने से बंद है।लोग यहां घूमने भी नहीं आ रहे है। वन प्रबंधन समिति को राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा है ऐसे में वन्य प्राणियों के देखरेख में भी दिक्कत आ रही है। वन विभाग की ओर से अलग से बजट का प्रावधान नहीं किए जाने से शंकर घाट वन प्रबंधन समिति की दिक्कत बढ़ गई है। साल के घने वृक्षों से आच्छादित संजय पार्क में लगभग दो दशक पहले एक- दो चीतल को रखा जाता था।जंगल से लगे बस्ती में घुसे चीतलों पर कुत्तों द्वारा हमला करने, ग्रामीणों द्वारा पकड़ कर रखने की स्थिति में ऐसे चीतल, हिरण, कोटरा को संजय पार्क में रखने की व्यवस्था की गई थी।
पार्क को ही रेस्क्यू सेंटर बनाकर बीमार और घायल चीतलों के उपचार की व्यवस्था की जाती रही। शुरू में एक कमरानुमा जगह में सामने तार की जाली लगाकर इन्हें रखा जाता था बाद में इनकी संख्या बढ़ी तो पार्क के ही एक हिस्से में इनके लिए बाड़ा बना दिया गया। अहाता और उसके ऊपर तार की जाली लगा चीतलों को छोड़ दिया गया है। बारिश से बचने एक-दो शेड बना दिए गए हैं, अन्यथा सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। जहां बाड़ा बनाया गया है वहां बरसात में थोड़ा बहुत घास उगता है और पानी मिल पाती है।बारिश खत्म होते ही उबड़-खाबड़ जगह के सिवाय कुछ नहीं रहता। हरा चारा बाहर से लाकर देना पड़ता है।
प्यास बुझाने के लिए कुछ नाद रखे गए है जिसमें पानी भरा जाता है।भोजन के लिए बीच-बीच मे इनमें संघर्ष भी होता है। नर चीतलों के सींग एक-दूसरे को जख्मी भी करते है।अब पशु चिकित्सकों की सेवाएं भी नहीं ली जाती। वन विभाग का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी यहां झांकने तक नहीं आता। यहां वन्य प्राणियों को रखने के लिए किसी प्रकार की कोई अनुमति ही नहीं ली गई है। सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी समाज के लोग यदि जंगली बंदर,सुअर आदि भी पाल लेते है या अनजाने में किसी की मौत हो जाती है तो वन विभाग वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर न्यायिक रिमांड पर भेजने से पीछे नहीं रहता और खुद विभाग नियमों का खुलेआम उल्लंघन करने में लगा हुआ है। समय-समय पर चीतलों की मौत हो रही है। उन्हें पार्क के ही एक हिस्से में जला दिया जाता है। जंगली जानवर शहरवासियों के मनोरंजन का साधन बने है लेकिन वन विभाग इन जानवरों के लिए कोई व्यवस्था करने में रुचि नहीं दिखा रहा है।
जंगलों में छोड़ने से पहले चीतलों को जंगल में ही एक सुरक्षित बाड़ा बनाकर रखना होगा ताकि ये स्वयं नैसर्गिक वातावरण में रहने खुद को ढाल सके अभी इनकी आदत इंसानी सहयोग पर टिकी है। कोई हरा चारा लाकर देता है तो ये उसका सेवन करते है। जंगल मे रहने का अनुकूलन करने के लिए इन चीतलों को सूरजपुर जिले के धूरिया स्थित चीतल बाड़े में कुछ दिनों तक रखने पर विचार हुआ था, लेकिन यह भी ठंडे बस्ते में चला गया है। धूरिया के बाड़े में भी बारनवापारा से लगभग 40 चीतलों को लाकर रखा गया है, लेकिन वे भी कैद है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में मांसाहारी वन्यप्राणियों की मौजूदगी के कारण खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने चीतलों को छोड़ने का निर्णय लिया गया था, लेकिन ये चीतल भी अब पालतू जानवर के समान हो चुके है।
संजय पार्क हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं आता।ऐसे वन्यप्राणियों को सीधे जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता।उनकी आदत पालतू जानवरों जैसी हो गई है। पहले जंगल में रहने लायक तैयार करने इन्हें वैसा ही परिवेश देकर अनुकूलन करना होगा ताकि एकाएक चारा-पानी के लिए इनके समक्ष संघर्ष की स्थिति उतपन्न न हो सके।
- एसएस कंवर, वन सरंक्षक,वन्य प्राणी सरगुजा वृत्त
संजय पार्क के चीतलों को जंगल में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वन मुख्यालय से पत्राचार किया जा रहा है।वरिष्ठ अधिकारियों का जैसा निर्देश होगा वैसी व्यवस्था की जाएगी।संजय पार्क में चारा, पानी सहित दूसरी सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
- पंकज कमल, डीएफओ,सरगुजा