
नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर। अंबिकापुर उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में इन दिनों कड़ाके की ठंड ने लोगों की दिनचर्या प्रभावित कर दी है। पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने के बाद उत्तर-पश्चिम दिशा से आ रही शुष्क व ठंडी हवाओं के प्रभाव से पूरा संभाग ठिठुरन की चपेट में है। सर्द हवा ने ठंड को और तीखा बना दिया है।
शनिवार को सरगुजा जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मैनपाट का नजारा खासा आकर्षक रहा। यहां न्यूनतम तापमान गिरकर करीब दो डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे आसपास के इलाके में ओस की बूंदें पाला के रूप में जम गई।
सुबह जब लोग घरों से बाहर निकले तो चारों ओर सफेद चादर जैसी पाले की परत देखकर चकित रह गए। घास के मैदान, पुआल के ढेर, पेड़-पौधों के तने और खेतों की मेड़ें पाले से ढकी नजर आईं।
यह दृश्य किसी पहाड़ी इलाके में बर्फबारी के बाद का सा प्रतीत हो रहा था। स्थानीय लोगों ने इस नजारे को अपने मोबाइल कैमरों में कैद कर इंटरनेट मीडिया पर जमकर साझा किया। ठंड से मैनपाट सहित पूरे सरगुजा संभाग में जनजीवन प्रभावित है।
संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में भी सर्दी का प्रकोप कम नहीं है। यहां न्यूनतम तापमान में करीब आधा डिग्री की और गिरावट दर्ज की गई, जिससे पारा 4 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। यह इस मौसम का अब तक का सबसे कम तापमान है।
शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री दर्ज किया गया था, यानी 24 घंटे के भीतर ठंड और तीखी हो गई। अंबिकापुर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी कई स्थानों पर सुबह पाला जमने की खबरें हैं।
मौसम विज्ञानी एएम भट्ट के अनुसार अगले 24 घंटों में ठंड से किसी प्रकार की राहत मिलने की संभावना नहीं है। उत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्रों में एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है। यदि इसका प्रभाव मजबूत रहा और जम्मू-कश्मीर तथा हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी या ओलावृष्टि होती है, तो उसका असर मध्य भारत तक देखने को मिल सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों और नए साल के शुरुआती दिनों में उत्तरी छत्तीसगढ़ में ठंड और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
कड़ाके की सर्दी के बीच शहरवासियों को राहत पहुंचाने के लिए नगर निगम द्वारा अलाव की व्यवस्था की गई है। अंबिकापुर शहर के करीब 20 प्रमुख स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं। लगातार ठंड और आगे भी राहत की उम्मीद न होने को देखते हुए निगम ने 15 जनवरी तक अलाव जलाने का निर्णय लिया है।
प्रतिदिन तीन से चार क्विंटल लकड़ी की खपत हो रही है। निगम के इस प्रयास से खासकर सुबह-शाम बाहर निकलने वाले राहगीरों और कामकाजी लोगों को काफी सहारा मिल रहा है।