अंबिकापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। एक माह बाद प्रशिक्षित कुमकी हाथी दुर्योधन वापस रमकोला स्थित हाथी पुनर्वास व राहत केंद्र लौट आया है। दुर्योधन लौटा तो है लेकिन उसका एक दांत नहीं है। अब दुर्योधन हाथी सिर्फ एक दांत का हो गया है। उसके दूसरे दांत को वन कर्मचारियों ने जंगल से ढूंढ निकाला है। जंगली हाथियों से संघर्ष में यह दांत टूटा या फिर स्वाभाविक रूप से यह गिरा इसे लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे है। अधिकारियों का कहना है कि दांत रोगग्रस्त था इसलिए यह अपने आप निकल गया था। जब उसे कर्नाटक से लाया गया था तभी से इसमें दिक्कत थी। बाद में उसके पास से मवाद निकलने लगा था।
पशु चिकित्सक लगातार उसका उपचार कर रहे थे। एक दांत हिलने लगा था। दांत की पकड़ कमजोर हो जाने के कारण ही वह जंगल में गिर गया था। दो दिन पहले जब एक दांत के ही दुर्योधन वापस लौटा तो राहत व पुनर्वास केंद्र के कर्मचारियों के अलावा तमोर पिंगला अभयारण्य व वन विभाग के कर्मचारियों को हाथी दांत की खोज में लगाया गया था। जंगली हाथियों के साथ प्रशिक्षित दुर्योधन का जिधर - जिधर मूवमेंट हो रहा था उधर तलाशी अभियान चलाया गया। लगातार खोजबीन जारी रहने से दुर्योधन के हाथी दांत को सुरक्षित बरामद कर लिया गया है। अब वह पहले की तरह दूसरे प्रशिक्षित कुमकी हाथियों के अलावा महावत से भी व्यवहार कर रहा है। उसकी गतिविधियां पहले की तरह ही शांत हैं लेकिन अब कर्मचारी सतर्कता बरत रह रहे हैं। जंगली हाथियों की उपस्थिति वाले क्षेत्र में अब दोबारा इन प्रशिक्षित हाथियों को ले जाने से बचा जा रहा है।
चला गया था जंगली हाथियों के पास
बीते 25 जुलाई 2023 को सामान्य दिनचर्या की तरह प्रशिक्षित कुमकी हाथियों को जंगल भ्रमण के लिए ले जाया गया था। उसी समय संभवतः महावतों का ध्यान हट गया था। उसी जंगल में 17 जंगली हाथियों का दल था। इसी दल में जाकर दुर्योधन भी शामिल हो गया था। इस दल में मादा हाथियों की संख्या सर्वाधिक थी। उन्होंने भी दुर्योधन को शामिल कर लिया था। उस दौरान अधिकारी यह दावा कर रहे थे कि दुर्योधन अभी मदकाल में हैं। मदकाल समाप्त होते ही वह स्वमेव वापस लौट जाएगा। आखिरकार अधिकारियों का दावा सच साबित हुआ।
मदकाल समाप्त होने के बाद याद आई कैंप और दूसरे हाथियों की
मदकाल , हाथियों का प्रजनन का समय होता है। उस समय हाथी आक्रामक हो जाते हैं।मदकाल हाथी के जीवन का वह समय होता है जब उसके कान के करीब से गाढ़ा द्रव्य रिसता है। ये उसके मादा से मिलन का मौसम होता है। इस दौरान हाथी को छोटे मजबूत घेरे (क्रॉल) में रखा जाता है, क्योंकि मादा के लिए विचलित नर तब अपने महावत की भी नहीं सुनता। यही स्थिति दुर्योधन की भी थी। जंगली हाथियों के पास जाने के बाद वह महावत की भी नहीं सुन रहा था।मदकाल समाप्त होने के बाद दुर्योधन को अपने साथियों और कैंप की याद आई और वह वापस लौट आया। कैंप की दो हथिनी गर्भवती हैं।
इनका कहना
दुर्योधन हाथी पर हमारी टीम लगातार नजर रखी हुई थी। दो दिन पहले वह खुद वापस लौट आया है। उसका दांत पहले से ही हिल रहा था। उससे मवाद भी निकलता था। उसका लगातार उपचार भी किया जा रहा था। कमजोर हो जाने के कारण ही दांत गिर गया था। जंगल से दांत को सुरक्षित खोज निकाला गया है।
केआर बढ़ई
फील्ड डायरेक्टर एलीफैंट रिजर्व सरगुजा