Ambikapur News: जा रहे थे शादी में ,नदी के पास दिख गया बाघ
Ambikapur News: अभी तक बाघ ने आधा दर्जन से अधिक मवेशियों का शिकार किया है।
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Sun, 12 Mar 2023 11:59:39 PM (IST)
Updated Date: Sun, 12 Mar 2023 11:59:39 PM (IST)

अंबिकापुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)।गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान से निकला बाघ इन दिनों वाड्रफनगर,रामानुजंगज व बलरामपुर वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती जंगल में आबादी क्षेत्रों के आसपास विचरण कर रहा है।अभी तक बाघ ने आधा दर्जन से अधिक मवेशियों का शिकार किया है।शनिवार की रात बाघ बलरामपुर व रामनुजंगज वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती ग्राम सेंदुर के मुख्य मार्ग के नजदीक आ गया था।चारपहिया वाहन से गुजर रहे लोगों ने बाघ की तस्वीर भी ली और वीडियो भी बनाया।सेंदुर नदी में बाघ पानी पीते भी देखा गया।
बाघ के कारण आसपास के गांवों में रहने वाले लोग भयभीत है।लोगों को जंगल न जाने की सलाह दी जा रही है।पिछले चार दिनों से बाघ रामानुजंगज व बलरामपुर वन परिक्षेत्र के सेमवरतीं जंगलों में विचरण कर मवेशियों का शिकार कर रहा है।पिपरौल के नजदीक इसकी उपस्थिति के प्रमाण लगातार मिल रहे है।शनिवार की रात ग्राम भाला के सरपंच बीरबल सरुता, पूर्व जनपद सदस्य अनिल कुजुर के साथ ग्राम भाला से चारपहिया वाहन से ग्राम भितियाही में एक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे।सेंदुर नदी पुल के पास वे पहुंचे तो देखा कि सेंदुर नदी में बाघ पानी पी रहा है।वाहन की तेज रोशनी से बाघ इधर-उधर भागते नजर आया।
उन्होंने तत्काल मोबाइल से बाघ की तस्वीर ली और वीडियो भी बनाया।यह वीडियो तेजी से इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हो रहा है। यहां से बाघ ग्राम पंचायत सेंदुर के कुंदरूखाड निवासी सूरज देव मरावी के बछड़े का शिकार भी किया।बताया जा रहा है कि जलस्रोतों के आसपास ही बाघ विचरण कर रहा है।अभी तक उसने मवेशियों के अलावा जंगली सूअर का शिकार भी किया है।शिकार करने के बाद पूरे मांस को वह एक बार में खाता भी नहीं है।मृत जानवर के आसपास ही आराम करते भी उसे देखा गया है।
राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से निकल गया है बाघ
बलरामपुर जिले में घूम रहा बाघ गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से बाहर निकल गया है।तमोर पिंगला अभयारण्य का क्षेत्र गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान से लगा हुआ है।तमोर पिंगला अभयारण्य से होते हुए बाघ पहली बार वाड्रफनगर वन परिक्षेत्र में प्रवेश किया था।अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर वाड्रफनगर के पनसरा के नजदीक भी यह आ गया था।बाघ के कारण बनारस मार्ग पर आवागमन भी रोकना पड़ा था।कुछ वर्ष पहले भी बाघ सेमरसोत अभयारण्य क्षेत्र तक पहुंचा था लेकिन इस बार बाघ वाड्रफनगर और रामानुजंगज के बीच चलगली से लगे पिपरौल,सेंदुर क्षेत्र में विचरण कर रहा है।
राष्ट्रीय उद्यान में शाकाहारी जानवरों की उपलब्धता जरूरी
मध्यप्रदेश के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से अलग होकर छत्तीसगढ़ में गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान बना है।इसकी सीमा कोरिया और सूरजपुर जिले में है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अस्तित्व में आने के बाद यहां बाघ लगातार देखा जाता है।राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में लंबे समय से शाकाहारी वन्य जीवों को छोड़ने की मांग भी उठती रही है।बीच में चीतलों के समूह को लाकर यहां छोड़ा गया था।वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में मांसाहारी वन्य प्राणियों के विचरण को देखते हुए प्राकृतिक परिवेश के अनुरूप चीतल,हिरण जैसे शाकाहारी वन्य प्राणियों को छोड़ा जाना चाहिए ताकि बाघ जैसे वन्य प्राणी शिकार कर सकें।पानी की उपलब्धता भी जरूरी है।राष्ट्रीय उद्यान से निकले बाघ को नदी,नाला व जलस्रोतों के आसपास देखा जा रहा है।