नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर : भारी विरोध के कारण अंबिकापुर में राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा का कार्यक्रम पूरा नहीं हो सका।विवाद को देखते हुए कार्यक्रम को बीच में ही समाप्त करना पड़ा।इसके पहले कार्यक्रम आयोजन को लेकर ईसाई समाज और रजवार समाज के लोग आमने-सामने आ गए। दोनों पक्षों के बीच जमकर वाद-विवाद हुआ। पुलिस व प्रशासन के हस्तक्षेप से मामले को शांत कराने के साथ ही कार्यक्रम को भी बंद करना पड़ा।
अंबिकापुर के गंगापुर में रजवार समाज का भवन है। इसी भवन के ठीक सामने सुबह से बड़ी संख्या में ईसाई समाज के लोग जुटने लगे थे। बाहर से आए लोगों द्वारा उद्बोद्धन दिया जा रहा था। दोपहर में रजवार समाज के पदाधिकारी अपने भवन में पहुंचे। उन्होंने ईसाई समाज के लोगों को कार्यक्रम तत्काल बंद करने का आग्रह किया। इससे विवाद की स्थिति निर्मित हो गए। रजवार समाज के पदाधिकारियों का कहना था कि समूह से जुड़े कुछ लोगों का कार्यक्रम आयोजित करने की झूठी जानकारी देकर इतना बड़ा आयोजन किया जा रहा है,जो उचित नहीं है। रजवार भवन में रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों को मौखिक जानकारी देकर इतनी भीड़ जुटाने पर आपत्ति दर्ज कराते ही ईसाई समाज के लोग भी सामने खड़े हो गए। उनका दावा था कि बकायदा सूचना देकर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। अकारण व्यवधान उतपन्न करने की कोशिश की जा रही है। इस पर दोनों पक्षों के लोगों के बीच जमकर विवाद हुआ। एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए गए। ऐसे में पुलिस व प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह ढिल्लों के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस बल को भी तैनात किया गया था। कार्यक्रम आयोजक राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा के पदाधिकारियों से कहा गया कि यदि कार्यक्रम आयोजन की अनुमति है तो उसे दिखा दिया जाए। यदि क्रिश्चियन मोर्चा ने अनुमति ली है तो भी ठीक है और यदि रजवार समाज की ओर से इतने बड़े आयोजन को लेकर किसी प्रकार की अनुमति ली गई होगी तो भी कोई आपत्ति नहीं है लेकिन रजवार समाज ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनके भवन में रहने वाले विद्यार्थियों को झूठी जानकारी देकर भीड़ जुटाई गई है। दूसरी ओर राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा के पास प्रशासन से कार्यक्रम आयोजन की अनुमति का कोई लिखित आदेश ही नहीं था। ऐसे में राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा को अपना कार्यक्रम बंद करना पड़ा। विरोध के बीच ईसाई समाज के लोग कार्यक्रम स्थल से वापस लौट गए। इस दौरान गहमागहमी की स्थिति बनी रही। शांति,सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों ने नजर रखा था।
माता राजमोहिनी के अनुयायियों ने भी किया था विरोध
राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा के कार्यक्रम का पिछले कई दिनों से विरोध चल रहा था। पहले यह कार्यक्रम अंबिकापुर के माता राजमोहिनी देवी भवन में प्रस्तावित किया गया था। इसके विरोध में पद्मश्री माता राजमोहिनी देवी के अनुयायी उतर आए थे। माता राजमोहिनी के अनुयायियों ने अंबिकापुर कलेक्टोरेट पहुंचकर कार्यक्रम का आयोजन राजमोहिनी देवी भवन में किए जाने का विरोध किया था। उनका कहना था कि माता राजमोहिनी देवी मतांतरण के विरोध में रहती थी। उनके नामकरण वाले भवन में ऐसा आयोजन माता राजमोहिनी का अपमान है। इस भवन में कार्यक्रम आयोजन की अनुमति प्रशासन की ओर से नहीं दी गई थी।यहां विशेष संरक्षित जनजाति परिवारों के आधार कार्ड का विशेष शिविर लगाया गया था।
राजमोहिनी भवन में नहीं मिली अनुमति,मुक्तिपारा के बाद पहुंचे गंगापुर
राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा ने राजमोहिनी देवी भवन में कार्यक्रम आयोजन की अनुमति नहीं मिलने पर अंबिकापुर के मुक्तिपारा में स्थित नगर निगम के सामुदायिक भवन में कार्यक्रम आयोजित करने की सूचना पुलिस को दी थी।संभवत यहां भी कार्यक्रम आयोजन की अनुमति नहीं मिल पाने के कारण अंतिम समय में रजवार भवन का चयन किया गया था। इसके लिए आवेदन सौंपा गया था लेकिन जब पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने लिखित अनुमति मांगी तो प्रस्तुत नहीं किया गया।
इस संबंध में रजवार समाज के प्रवक्ता मनोज राजवाड़े का कहना है कि रजवार भवन धर्मशाला में रहकर बच्चे पढ़ाई करते हैं। इन्हीं को बोला गया था कि कुछ लोगों का कार्यक्रम प्रांगण में आयोजित करना है।बाद में यहां भारी भीड़ जमा हो गई थी, तब हमें सूचना दी गई कि झूठ बोलकर धर्म विशेष का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।हमने जब आपत्ति की तो हमारे साथ धक्कामुक्की की गई। अभद्र व्यवहार किया गया।
वहीं प्रभारी ,राष्ट्रीय अल्पसंख्यक मोर्चा व राष्ट्रीय महासचिव डा विलास खरात ने कहा कि भारत मुक्ति मोर्चा कार्यक्रम चोरी - छिपे आयोजित नहीं किया जा रहा था। यदि हमारा कार्यक्रम गैर कानूनी था तो हमारे विरुद्ध एफआइआर किया जा सकता था। हमें हिरासत में लिया जा सकता था। संविधान के दायरे में रहकर हम कार्यक्रम आयोजित कर रहे थे। भाजपा व आरएसएस के इशारे पर कार्यक्रम बाधित किया गया। हरियाणा में भी ऐसा ही किया गया था। इस घटना के विरोध में 29 तारीख को हम छत्तीसगढ़ बंद करेंगे।