
नईदुनिया प्रतिनिधि अंबिकापुर। इंजीनियरिंग कालेज अंबिकापुर में 13 करोड़ रुपये से अधिक के लंबित निर्माण व विकास के कार्य अब आरंभ हो सकेंगे। इंजीनियरिंग कालेज की जमीन पर अवैध कब्जे के कारण यह कार्य आरंभ नहीं हो पा रहे थे। इससे इंजीनियरिंग कालेज की मान्यता पर भी खतरा मंडराने लगा था। न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन था। आखिरकार फैसला इंजीनियरिंग कालेज के पक्ष में आया। इससे कालेज को बड़ी राहत मिली है। इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य डा आरएन खरे ने बताया कि शासन द्वारा सरगुजांचल के छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु शासकीय इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी। कालेज के लिए नेहरू नगर ग्राम डिगमा अंबिकापुर में शासन द्वारा 26 एकड भूमि प्रदान किया गया था।
परंतु ग्राम डिगमा में एक व्यक्ति द्वारा लगभग सात एकड से भी ज्यादा भूमि पर कब्जा कर लिया गया था। प्राचार्य ने बताया कि कब्जाधारी द्वारा जिला एवं सत्र न्यायालय अंबिकापुर में शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज अंबिकापुर और शासन के विरूद्ध वर्ष 2014 में मुकदमा दायर किया गया था। जिसे न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था। पुनः अपील हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था,इसे भी खारिज कर दिया गया है। न्यायालय ने अपना निर्णय शासकीय इंजीनियरिंग कालेज अंबिकापुर के पक्ष में दिया है। अब उक्त कब्जा भूमि को तत्काल खाली कर 1350 लाख का निर्माण कार्य कराया जायेगा। अवैध कब्जा से अखिल भारतीय तकनीकी परिषद (एआईटीसी) की मान्यता पर भी खतरा रहता था, क्योकि जमीन कम पड़ रही थी। इंजीनियरिंग कालेज के पक्ष में निर्णय आने के कारण सारी बढ़ाएं दूर हो चुकी है।इंजीनियरिंग कॉलेज में निर्माण और विकास के कार्य तेजी से आरंभ किया जा सकेगा। लोकसभा चुनाव के आचार संहिता समाप्त होते ही इंजीनियरिंग कालेज प्रबंधन की ओर से इस दिशा में पहल की जाएगी। इसका सीधा लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा।
जमीन की कमी से इन सुविधाओं का नहीं हो पा रहा था विस्तार
शासकीय इंजीनियरिंग कालेज की सात एकड़ से भी अधिक जमीन पर कब्जा हो जाने के कारण स्वीकृति के बावजूद कई सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा था। जमीन ही की कमी ही बाधा बनी हुई थी। इस कारण बालिका छात्रावास, खेल मैदान तथा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के अकादमिक भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा था। अब ये सारे कार्य हो सकेंगे। इसका सीधा लाभ सरगुजांचल के विद्यार्थियों को मिलेगा। मालूम हो कि यहां एम टेक की भी पढ़ाई होती है।
पालीटेक्निक के दो कमरों से स्वयं के भवन तक का सफर
सरगुजा संभाग के विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना की गई थी। शुरुआत में इसका संचालन शासकीय पॉलिटेक्निक कालेज अंबिकापुर के दो-तीन कमरों में किया जा रहा था। उस दौरान सरगुजा विश्वविद्यालय को इसके संचालन की जवाबदारी दी गई थी।कालांतर में इंजीनियरिंग कालेज का संचालन विश्वविद्यालय को लखनपुर में दान में मिले भवन में किया जा रहा था बाद में अंबिकापुर से लगे नेहरू नगर में इंजीनियरिंग कॉलेज का स्वयं का भवन बनकर तैयार हुआ। वर्तमान में इंजीनियरिंग कालेज , स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई से संबद्ध है। अब यह शासकीय इंजीनियरिंग कालेज के नाम से जाना जाता है।