0 सद्भावना ग्राम तकिया में सद्भावना मुशायरा बना यादगार
0 देश के नामचीन शायरों ने शेरो-शायरी व गीत-गजल से किया मंत्रमुग्ध
0 सालाना उर्स में अंजुमन कमेटी का आयोजन
फोटो-16,17
अंबिकापुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
सरगुजा संभाग मुख्यालय के सद्भावना ग्राम तकिया में बाबा मुरादशाह व मोहब्बत शाह के मजार स्थल पर सालाना उर्स के पहले दिन चादरपोशी के बाद शुरु हुआ ऑल इंडिया सद्भावना मुशायरा पूरी रात चलता रहा। देश के नामचीन शायरों ने ऐसा समां बांधा की लोग सुबह चार बजे तक डटे रहे। देश के ख्यातिलब्ध शायर व यूपी में ऊर्दू अकादमी के अध्यक्ष रहे डॉ. नवाज देवबंदी ने अपने शेरोशायरी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सद्भावना ग्राम तकिया में सालाना उर्स का आगाज सोमवार को शहर से निकले चादरपोशी के जुलूस के साथ हुआ। देर शाम बाबाओं के मजार पर संदल, चादरपोशी की गई तत्पश्चात रात्रि करीब 10 बजे से ऑल इंडिया सद्भावना मुशायरा शुरु हुआ। देश के विभिन्न हिस्सों से आए शायर व कवियों का अंजुमन कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों और नागरिकों ने अभिनंदन किया। अंजुमन कमेटी की ओर से सभी शायरों और कवियों को हरा साफा भेंट किया गया। इसके बाद शायर अतुल अजनबी ने माईक थामा और मुशायरे के लिए बारी-बारी से शायरों और कवियों को आमंत्रित किया। देश के ख्यातिलब्ध शायर डॉ. नवाज देवबंदी ने 'एक आंखों के पास है एक आंखों से दूर, बेटा हीरा होता है और बेटी कोहेनूर', 'फाकों ने तस्वीर बना दी आंखों में, गोल हो कोई चीज तो रोटी लगती है', 'राज पहुंचे हमारे गैरों तक, मशवरा कर लिया था अपनों से', 'सितमगर वक्त का तेवर बदल जाए तो क्या होगा, मेरा सर और तेरा पत्थर बदल जाए तो क्या होगा' जैसे शेर सुनाकर लोगों को बांध लिया था। उन्होंने एक-दो और शेर पढ़े जिसमें 'ओ जो अनपढ़ है हैवान है तो ठीक है, हम पढ़े-लिखों को तो इंसान होना चाहिए', 'तुम्हारे शहर में पत्थर के दाम कम क्यों हैं, तुम्हारे शहर में शीशों के मकान नहीं हैं क्या' जैसे भावपूर्ण व वर्तमान हालातों से जुड़े शेर सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। डॉ. कलीम कैशर ने मां पर शेर पढ़े जिसमें 'ऐसी अल्लाह की रहमत देखी नहीं मैंने, मां जैसी रहमत देखी नहीं मैंने, सात बच्चे रख सकती है एक मां पर सात बच्चे नहीं रख सकते एक मां' सुनाकर माहौल को भावुक कर दिया। मुशायरे का संचालन कर रहे अतुल अजनबी ने कहा 'जहां साहिल के कब्जे हो रहे हैं समुन्दर और गहरे होते जा रहे हैं'। निकहत अमरोही ने सुमधुर आवाज में गजल सुनाकर उपस्थित जनसमूह से खूब वाहवाही लूटी। निकहत अमरोही की गजल 'बेटी हिन्दू की हो या मुस्लिम की, है मां-बाप का सरमाया', 'सताते हैं तेरी यादों की जुगनू, बहुत जागी हूं सोना चाहती हूं', 'बहुत मजबूत हैं मेरे इरादे, गमों का बोझ ढोना चाहती हूं' सुनाया तो लोग झूम उठे। युवा शायर तारिक कमर ने अपनी उर्दू जुबान से लोगों को आकर्षित किया। उनके शेर 'अंधेरों से शिकायत करने वालों नींद से जागो, न मंदिरों में न मस्जिदों में गंगा-जमुना के साहिलों पर...' को लोगों ने खूब पसंद किया। हसन काजमी ने मां पर गजल सुनाया। उनकी गजल 'रुखी-सूखी खाकर पूरा कुनबा पलता है, नील गगन पर सुनते तो हैं कुदरत रहती है लेकिन मां के पांव के नीचे जन्नत रहती है' ने हर किसी को भावुक कर दिया। नवोदित शायरा चांदनी पाण्डेय, ताबिश नैय्यर, इरफान शाहनूरी, मसरुर अल्वी, दीपक अग्रवाल ने भी शेरोशायरी व गीत-गजल से समां बांध दिया। मुशायरे में अंजुमन कमेटी के सरपरस्त हाजी अब्दुल रशीद सिद्दीकी ने देश भर से आए शायरों व मुशायरा में जुटे लोगों के प्रति आभार जताया और इस परंपरा को निरंतर जारी रखने का आह्वान किया। कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर का संचालन अंजुमन कमेटी के सचिव इरफान सिद्दीकी ने किया। इस अवसर पर मुशायरा के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सलाउद्दीन सिद्दीकी गुड्डू, वरिष्ठ पार्षद आलोक दुबे, पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार, अधिवक्ता संजय अंबष्ट, वरिष्ठ नागरिक रामचन्द्र स्वर्णकार, डॉ. विनोद दुबे, देवेन्द्र दुबे, सुरेश शुक्ला, अजय सिन्हा सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
अचानक मऊ ने जमकर हंसाया-
उत्तरप्रदेश के मऊ जिले से आए 'अचानक मऊ' ने मुशायरे में शामिल लोगों को जमकर हंसाया। देश के नेताओं को शायराना अंदाज में कटाक्ष किया जिससे जमकर ठहाके लगे। शांत माहौल में मुशायरे का आनंद ले रहे लोगों में अचानक ने जोश भर दिया।
चुपके-चुपके कब कर देती तुरपाई अम्मा...
मध्यप्रदेश के विदिशा से आए ख्यातिलब्ध कवि आलोक श्रीवास्तव ने अपने भावपूर्ण रचनाओं को सुनाकर लोगों को कुछ देर के लिए भावुक कर दिया। उन्होंने मां पर जो रचनाएं पढ़ी उनमें 'चुपके-चुपके कब कर देती है तुरपाई अम्मा, मेरे हिस्से आई अम्मा' सुनाया। आलोक श्रीवास्तव ने 'तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भींग जाती है, मोहब्बत इतनी मिलती है कि आंखें भींग जाती हैं, तबस्सुम इत्र जैसा है, हंसी बरसात जैसी है, जब वह बात करती है तो बातें भींग जाती हैं, तुम्हें जब गुनगुनाता हूं तो रातें भींग जाती हैं' सुनाकर लोगों की खूब तारीफें बटोरी।