नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर : सरगुजा में स्कूल शिक्षा विभाग से एक बड़ी चूक हो गई। चूक भी ऐसी कि लोगों को ताने मारने का अवसर मिल गया। दरअसल हिंदी का एक शब्द लिखने में गलती कर दी गई। ' क्रीड़ा ' के बदले 'क्रिड़ा ' लिखी तख्तियों को ही अतिथियों के हाथों में थमा दिया गया। अब इंटरनेट मीडिया पर ये तस्वीरें तेजी से प्रसारित हो रही हैं। यूजर्स ताने मार रहे हैं कि बच्चों का भविष्य संवारने की जवाबदारी शिक्षा विभाग पर है। विभाग ही हिंदी के शब्द सही तरीके से नहीं लिख पा रहा है। अधिकारी भी इस चूक के लिए जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं।
अंबिकापुर में राज्य स्तरीय शालेय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन चल रहा है। प्रतियोगिता का रंगारंग शुभारंभ रविवार को किया गया। कृषि मंत्री रामविचार नेताम, सांसद चिंतामणि महाराज, विधायक प्रबोध मिंज, राजेश अग्रवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की उपस्थिति में प्रतियोगिता का शुभारंभ किया गया। शुभारंभ की प्रक्रिया में गुब्बारे छोड़े जाने की भी परंपरा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस परंपरा का भी निर्वहन किया। अतिथियों के हाथों में गुब्बारे दिए गए। एक साथ कई गुब्बारे बंधे थे। इनके नीचे हिस्से में हस्तलिखित तख्ती भी थी। ऐसी दो तख्तियों वाले गुब्बारे के गुच्छों को अतिथियों को दिया गया लेकिन तख्तियों में क्रीड़ा शब्द ही गलत लिखा हुआ था। एक तख्ती में गलत शब्द लिख गया हो तो समझ में आता है लेकिन दोनों ही तख्ती में क्रीड़ा शब्द को गलत लिख दिया गया था। तख्तियों में लिखा था -24 वीं राज्य स्तरीय क्रिड़ा प्रतियोगिता 2024 जबकि ''''क्रीड़ा'''' ऐसे लिखा जाना चाहिए थे। अतिथियों के हाथों में गलत शब्द वाली तख्तियां थी और बकायदा इसकी फोटोग्राफी भी हुई। जब ये तस्वीरें प्रसारित हुई तो शिक्षा विभाग की जमकर किरकिरी हुई। कृषि मंत्री रामविचार नेताम, सांसद चिंतामणि महाराज गलत शब्द वाली तख्तियों को पकड़ गुब्बारे आकाश में छोड़ने से पहले प्रसन्नचित मुद्रा में कैमरे में आ गए। जब यह चूक सार्वजनिक हुई तो विभागीय अधिकारियों के पास भी कोई ठोस जबाब नहीं रह गया।
200 अधिकारी-कर्मचारी फिर भी नहीं गया ध्यान
राज्य स्तरीय शालेय खेलकूद प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के लगभग 200 अधिकारी- कर्मचारियों को अलग-अलग जबाबदारी दी गई है। इसमें शिक्षक-शिक्षिकाएं भी शामिल हैं।शुभारंभ समारोह में ये सभी शामिल हुए लेकिन किसी का ध्यान हिंदी में गलत लिखे गए शब्द की ओर नहीं गया। जब तक उनके संज्ञान में बात जाती तब तक देर हो चुकी थी। अधिकारियों के हाथों में वह गलत शब्द वाली तख्तियां आ चुकी थी। उनके हाथों से वापस नहीं लिया जा सकता था और न ही वैकल्पिक व्यवस्था ही रखी गई थी।
इनका कहना
राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिता आयोजन के कारण थोड़ी व्यस्तता है। गलत शब्द लेखन की जानकारी नहीं है। मैं पता करवाता हूं कि यदि ऐसा हुआ है तो किस स्तर पर और कहां चूक हुई है।
अशोक सिन्हा
जिला शिक्षा अधिकारी सरगुजा