अंबिकापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से संचालित मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद के स्वधार गृह में रहने वाली 19 वर्षीय युवती का विवाह परंपरागत तरीके से सादे समारोह में संपन्न हुआ। युवती का कन्यादान संस्था की डॉयरेक्टर डॉ.मीरा शुक्ला ने किया। संस्था में आने वाली आठ युवतियों का कन्यादान अब तक उन्होंने कराया है। अपनी बेटी के साथ कन्यादान के साथ वे अब तक नौ कन्यादान करा चुकी हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी ने नवदंपती को प्रमाणपत्र प्रदान किया।
सामाजिक परेशानियों के बीच घर से निकली सीतापुर विकासखंड के ग्राम बमलाया पटेनीपारा की सुनीता बाखला (19) को एमएसएसव्हीपी के स्वाधार गृह में महिला एवं बाल विकास विभाग की बदौलत उस समय ठिकाना मिला, जब वह किशोर उम्र की थी। दुर्भाग्यपूर्ण हालातों के बीच घर से निकली युवती को भावनात्मक रूप से मजबूत करने की कोशिश की गई, इसका अच्छा परिणाम सामने आया। संस्था की डॉयरेक्टर डॉ.मीरा शुक्ला ने यहां रहने वाली आठ युवतियों को नवजीवन में प्रवेश कराया है, जो सुखद जीवनयापन कर रहे हैं। एमएसएसव्हीपी द्वारा वर्ष 2005 से शार्ट स्टे होम का संचालन किया जा रहा है, वर्ष 2016 से यह स्वधारगृह में तब्दील हो गया है। सुनीता बाखला जब यहां आई थी, तो उसकी मनोस्थिति खराब थी। किसी से बात नहीं करने और चुपचाप बैठे रहने से उसके मन की बात सामने नहीं आ रही थी। ऐसे में उसकी पृथक से काउंसलिंग शुरू की गई, जिससे पता चला कि वह जिस युवक से विवाह करना चाहती है, उसके पक्ष में माता-पिता नहीं हैं। इन बातों के सामने आने के बाद उसे बालिग होने तक इंतजार की समझाइश दी गई। यह भी कहा गया कि हो सकता है तब तक उसके घर वालों का मन बदल जाए और वे स्वयं उसकी पसंद के लड़के से विवाह के लिए राजी हो जाएं। लगभग नौ माह बालिका गृह में रहने के बाद जब वह बालिग हुई तो घर जाने के प्रति उसकी क्या राय है, यह जानने का प्रयास किया गया, लेकिन वह किसी भी कीमत पर घर नहीं जाना चाहती थी और उसे स्वधार गृह में रखा गया था। शुक्रवार को सुनीता का विवाह जीवित एक्का (22) से हिंदू रीति-रिवाज से कराया गया। इस मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्योति मिंज, संस्था के मनोज भारती, अधिवक्ता सतीश शुक्ला, सल्याडीह ग्राम के सरपंच महेंद्र की पत्नी, पंडित अंकुर चौबे, संस्था के अर्चना पांडे, मंजू पटेल, स्मृति, रूचिका, फुलंती, सीमा, सुप्रिया सहित वर-वधू पक्ष से आए लोग सात फेरों के साक्षी बने। विवाह कार्यक्रम संपन्न होने के बाद नवविवाहिता की विदाई हुई। इनके विवाह का पंजीयन नगर निगम में कराना था, लेकिन कोरोना संक्रमण के बीच एहतियात बरत नगर निगम कार्यालय के बंद रहने के कारण इनका फार्म भरवाया गया, ताकि बाद में पंजीयन कराया जा सके। विवाह से संबंधित प्रमाणपत्र भी इन्हें दिए गए। सभी ने अपनी हैसियत के अनुरूप वधु को जेवर, कपड़े, साड़ी सहित अन्य घरेलू सामान उपहार में दिए। युवती नाबालिक अवस्था में एमएसएसवीपी के बालिका गृह में रह रही थी। बालिग होने के बाद भी वह घर जाने को राजी नहीं हुई और उसे स्वधार गृह में रखा गया था। युवती जिससे विवाह करना चाहती थी, उससे विवाह के पक्ष में लड़की के माता-पिता नहीं थे।
18 से 60 वर्ष की रहती हैं महिलाएं-
एमएसएसव्हीपी द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से संचालित स्वधार गृह में 18 से 60 वर्ष की युवतियों एवं महिलाओं को रखा जाता है। इन्हें निःशुल्क भोजन, चिकित्सा, आवास, कानूनी सलाह के साथ प्रतिमाह स्वयं की जरूरतों की पूर्ति के लिए एक सौ रुपये पृथक से दिया जाता है। यहां महिलाओं के साथ 18 वर्ष तक की पुत्री और सात वर्ष तक के पुत्र मां के साथ रह सकते हैं।
कई परिवारों की टूटी डोर जुड़ी-
वित्तीय वर्ष 2020-21 में एक अप्रैल 2020 से जून 2020 तक की स्थिति में 30 महिला, 27 बच्चे रह रहे हैं। एमएसएसव्हीपी द्वारा यहां परिवार परामर्श केंद्र भी चलाया जा रहा है, यहां कई ऐसे जोड़ों को नई राह मिली, जो छोटी बातों को लेकर एक-दूसरे से वर्षों से अलग रह रहे थे। डॉयरेक्टर डॉ.मीरा शुक्ला द्वारा की जाने वाली काउंसलिंग के सकारात्मक परिणाम का नतीजा है कि ऐसे परिवारों के बीच की दूरी खत्म हुई और वे बेहतर जीवनयापन कर रहे हैं।