अंबिकापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के ग्राम फतेहपुर में शनिवार को ग्राम सभाओं के सम्मलेन का आयोजन किया गया। हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजना को निरस्त करने की मांग को लेकर चार अक्टूबर से प्रस्तावित पदयात्रा के समर्थन और विरोध में भी आवाज उठी। आखिरकार यह तय किया गया कि मांगों को लेकर पदयात्रा निकाली जाएगी। पदयात्रा का समापन 13 अक्टूबर को राजधानी रायपुर में किया जाएगा जिसमें कोल खनन प्रभावित क्षेत्र के आदिवासी बड़ी संख्या में शामिल होंगे।
शनिवार को खनन प्रभावित क्षेत्र के ग्रामसभाओं का सम्मेलन प्रस्तावित था।सम्मेलन और पदयात्रा को लेकर पिछले कुछ दिनों से समर्थन और विरोध दोनों तरह की बातें सामने आ रही थी। एक दिन पहले कुछ महिलाएं अंबिकापुर में कलेक्टर से मुलाकात करने आई थी। बाहरी लोगों द्वारा स्थानीय लोगों पर दबाब बनाने की शिकायत भी की गई थी इसी से अंदाजा लग गया था कि सम्मेलन में विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। शांति सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई गई थी। कोल खनन परियोजनाओं के विरोध में जुटे ग्रामीणों ने पांचवी अनुसूची क्षेत्र होने के बाद भी लगातार कोल बेयरिंग एक्ट से कोयला खदान हेतु किए जा रहे भूमि अधिग्रहण का विरोध किया। पेसा कानून के ग्रामसभा से पूर्व सहमति के प्रावधानों को दरकिनार कर किए जा रहे भूमि अधिग्रहण को रद्द करने की मांग की। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि परसा कोल ब्लाक की भी वन स्वीकृति ग्रामसभा का फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई। इस फर्जी प्रस्ताव को निरस्त कर दोषियों पर कार्रवाई और बिना सहमति के भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को निरस्त किया जाना चाहिए। ग्रामीणों ने भी आवाज उठाई कि पदयात्रा में वे शामिल होंगे। 2015 में हसदेव अरण्य की 20 ग्राम सभाओं ने खनन के विरोध में प्रस्ताव पारित किया था। 2019 में ग्राम फतेहपुर में 75 दिनों तक धरना प्रदर्शन किया लेकिन राज्य सरकार ने कोई संज्ञान नही लिया। ग्राम सभाओं के व्यापक विरोध और भूमि अधिग्रहण से लेकर सभी स्वीकृति प्रक्रियाओं को मनमाने एवं गैरकानूनी ढंग से किया, जिसकी जानकारी राज्य एवं केंद्र सरकार के सम्बंधित विभागों और स्वयं मुख्यमंत्री को भी प्रेषित किया गया किंतु आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लगातार अपनी बातों को पत्रों के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने के बाद भी हमें अनसुना किया गया। इस आंदोलन का 2015 में खुद राहुल गांधी ने भी समर्थन किया। इसके बाद भी हमें अपने ही जमीन से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है। पदयात्रा करने जा रहे हैं ताकि हम मुख्यमंत्री और राज्यपाल को मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंप सकें। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने पदयात्रा की रूपरेखा के बारे में बताया तथा जल-जंगल जमीन की लड़ाई में अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही।
सम्मलेन को मिला कांग्रेस का समर्थन-
फतेहपुर में आयोजित सम्मेलन में शामिल होने कांग्रेस नेता व विधायक प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंहदेव, जिला पंचायत सदस्य राजनाथ सिंह, जनपद उपाध्यक्ष नीरज मिश्रा, बबन रवि, आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह, मनीष पांडेय, जनपद सदस्य रैमुनिया करियाम पहुंचे। विधायक प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंहदेव ने कहा पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव और कांग्रेस पार्टी सदैव ग्रामीणों के साथ खड़ी है। चार तारीख को फतेहपुर से रायपुर तक पैदल यात्रा में वे शामिल होंगे।
महिलाओं के बीच झूमाझटकी, बाहर जाओ के नारे लगे-
कोल खनन परियोजना के विरोध में पदयात्रा को लेकर समर्थन और विरोध की स्थिति भी बनी। कोल खदान का समर्थन करने वाली महिलाओं व कोल खदान का विरोध करने वाले महिलाओं के बीच झूमाझटकी भी हुई, जिससे आयोजन स्थल पर काफी देर तक गहमागहमी भी बनी रही। सम्मेलन में शामिल होने आए बाहरी लोगों के वापस जाने की भी मांग उठी। हो-हल्ला और विरोध को देखते हुए तहसीलदार सुभाष शुक्ला के द्वारा दोनों पक्षों को समझाइश देकर मामले को शांत कराया गया। पुलिस को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की भी ड्यूटी लगाई गई थी।
इन मांगों को लेकर पदयात्रा-
0 हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजनाओं को निरस्त किया जाए।
0 बिना ग्रामसभा सहमति के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त किया जाए।
0 पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी कानून से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमति के प्रावधान को लागू किया जाए।
0 परसा कोल ब्लाक के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति को तत्काल निरस्त कर ग्रामसभा का फर्जी प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी पर एफआइआर दर्ज किया जाए।
0 घाटबर्रा के निरस्त सामुदायिक वनाधिकार को बहाल करते हुए सभी गांव में सामुदायिक वन संसाधन और व्यक्तिगत वन अधिकारों को मान्यता दी जाए।
0 पेसा कानून 1996 का पालन सुनिश्चत किया जाए।