नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर: आपने हमेशा पानी को ढलान की ओर बहते देखा होगा, लेकिन सरगुजा के मैनपाट में एक ऐसी जगह है जहां पानी नीचे से ऊपर की ओर बहता है। इतना ही नहीं यहां न्यूट्रल में खड़ी गाड़ियां भी ढलान की ओर ना जाकर ऊंचाई की ओर जाती है। इस स्थल को उल्टापानी के नाम से जाना जाता है। प्रकृति के नियमों को चुनौती देती उल्टापानी को देखकर केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उत्साहित नजर आए।
भाजपा के सांसद और विधायकों के प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को जब इस अद्भुत स्थल की जानकारी मिली तो वे खुद यहां पहुंच गए। कागज की नाव बनाकर उस दावे की सच्चाई को जानने का प्रयास किया, जिसमें पानी नीचे से ऊपर की ओर बहता है। केंद्रीय मंत्री ने कागज के नाव को पानी की धार में रखा। यह नाव तेजी से पानी के बहाव के साथ ऊपर की ओर बहने लगी। राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने भी कागज की नाव बनाकर बहाया।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह, पुलिस अधीक्षक सरगुजा की वाहन में सवार हुए। ढलान में न्यूट्रल में खड़ी वाहन के चालक ने जैसे ही ब्रेक छोड़ा, वाहन भी ऊंचाई की ओर चलने लगा। कुदरत के करिश्मे को देखकर खुश होकर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उल्टापानी में चाय-भजिया के व्यवसाय में जुटी स्वयं सहायता समूह की महिला से भी चर्चा की। उनके काम को सराहा तथा शासकीय योजनाओं से जोड़कर समूह के काम को और आगे बढ़ाने निर्देशित किया।
सरगुजा जिले के मैनपाट ब्लाक के बिसरपानी पंचायत में उल्टापानी एक ऐसी जगह है, जहां खेत के एक कोने से रिसता हुआ पानी जो प्रकृति के सामान्य नियमों के विपरीत घाट की ओर चढ़ता हुआ छोटे से टीले को पार कर दूसरी तरफ बह रहा है।इतना ही नहीं यहां से होकर गुजरने वाली सड़क पर नीचे की तरफ अगर चार चक्का वाहन को न्यूट्रल में डाला जाए तो वह घाट की ओर चलने लगता है। बंद गाड़ी को घाट की तरफ खुद-ब-खुद चढ़ता देखना सैलानियों के लिए रोमांच का सबब बनता है।
उल्टापानी तक पहुंचने के लिए सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। अंबिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट जाने वाली सड़क से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
यहां पहुंचने वाला हर शख्स आश्चर्यचकित हो उठता है। बावजूद इसके अब तक इस पर शोध के लिए कोई टीम नहीं आ सकी है और न ही किसी ने इसके विज्ञानी कारण को जानने की कोशिश की है। भूगोलविद् जरूर इसे गुरुत्वाकर्षण व चुंबकीय कारण मान रहे हैं पर यह भी एक अनुमान ही है।भूगोल के प्राध्यापक डाक्टर अनिल सिन्हा का कहना है कि यहां पानी उलटा बह रहा है तो गुरुत्वाकर्षण मुख्य कारण है। विपरीत दिशा में बड़ा चुंबकीय भंडार हो सकता है। चूंकि मैनपाट ज्वालामुखी पठार है इसलिए चुंबकीय भंडार है।