
नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर: अंबिकापुर से लगे सरगंवा गांव में पारंपरिक पूजा के दौरान रेबीज संक्रमित कुत्ते द्वारा काटे गए एक बकरे की बलि दे दी गई। लगभग 15 अन्य बकरों के मांस के साथ उसे भी पका दिया गया। इसके बाद पके मांस को प्रसाद के रूप गांव के लगभग 350 से 400 लोगों ने खा लिया। घटना के बाद ग्रामीणों में रेबीज फैलने की आशंका को लेकर डर का माहौल बन गया है।
इस घटनाक्रम की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि पका हुआ मांस खाने से रेबीज फैलने की संभावना नहीं के बराबर होती है। बकरे को भी रेबीज संक्रमित कुत्ते ने तीन से चार माह पहले काटा था।
दरअसल सरगंवा गांव में हर तीन साल में एक बार ‘निकाली पूजा’ का आयोजन होता है। यह स्थानीय देवी-देवताओं की परंपरागत पूजा है, जिसमें बकरे की बलि देने की परंपरा चली आ रही है। इस वर्ष 28 दिसंबर को पूजा का आयोजन किया गया था। पूजा के दौरान लगभग 15 बकरों की बलि दी गई। बलि के बाद सभी बकरों के मांस का बंटवारा किया गया। ग्रामीणों ने मांस को पकाकर प्रसाद के रूप में खा लिया था।
'निकाली पूजा' की परंपरा के अनुसार मांस प्रसाद केवल पुरुषों को ही दिया जाता है, इसलिए बकरे का मांस गांव के सिर्फ पुरुष सदस्यों ने ही खाया है। अब यह बात निकलकर सामने आई है कि जिन बकरों की बलि दी गई उनमें से एक बकरे को रेबीज संक्रमित कुत्ते ने काटा था। यह बकरा गांव के ही एक व्यक्ति से खरीदा गया था।
आरोप है कि बकरे के मालिक ने यह जानकारी किसी को नहीं दी थी क्योंकि कई माह पहले कुत्ते ने बकरे को काटा था और बकरा पूरी तरह से स्वस्थ था। ग्रामीणों का आरोप है कि यह काम धोखे से किया गया है। प्रसाद के रूप में मांस खाने वाले ग्रामीण भयभीत हैं। उन्हें डर सता रहा है कि कहीं वे रेबीज से संक्रमित न हो जाएं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा पीएस मार्को ने बताया कि सरगवां पंचायत के जनप्रतिनिधि और गांव के कुछ लोग आए थे। उन्होंने संपूर्ण घटनाक्रम से अवगत कराया है। बुधवार को राष्ट्रीय रेबीज रोकथाम कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र गुप्ता सरगवां ग्राम में जाएंगे। ग्रामीणों के बीच बैठकर संपूर्ण परिस्थिति की जानकारी लेंगे।
जरूरी हुआ तो ग्राम में शिविर लगाकर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाया जाएगा, लेकिन इसकी आवश्यकता शायद न पड़े क्योंकि कई महीने पहले कुत्ते ने बकरे को काटा था। मांस को पकाकर खाया गया है। सामान्य तौर पर उच्च तापमान में कोई भी खाद्य सामग्री पकाई जाती है तो संक्रमण की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है। ग्रामीणों को आवश्यक चिकित्सकीय परामर्श दिया जाएगा।
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रेबीज आमतौर पर संक्रमित जानवर की लार के संपर्क में आने या काटने से फैलता है। यदि बकरे को रेबीज संक्रमित कुत्ते ने काटा भी हो, लेकिन उसका मांस अच्छी तरह पकाया गया है, तो संक्रमण की संभावना लगभग नहीं होती फिर भी मानव स्वास्थ्य से जुड़ा विषय होने के कारण संबंधितों को चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
-डॉ. सीके मिश्रा, वरिष्ठ पशु चिकित्सक, सरगुजा
ग्रामीणों से सारी वस्तुस्थिति की जानकारी ली जाएगी। रेबीज टीकाकरण के लिए भारत सरकार की ओर से गाइडलाइन निर्धारित है। उस गाइडलाइन के अनुरूप परिस्थिति होने पर टीकाकरण किया जाएगा। जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुरूप कई माह पहले कुत्ते ने बकरे को काटा था। बकरा बलि के समय स्वस्थ्य था। 10 दिन बाद रेबीज संक्रमण के लक्षण आने लगते हैं। मांस को पकाकर खाया गया है इसलिए रेबीज संक्रमण की संभावना नहीं है। बिना कारण के रेबीज का टीका लगने से भी शरीर में दुष्प्रभाव पैदा हो सकता है।
डॉ. शैलेंद्र गुप्ता, नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम, सरगुजा