
नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर : छत्तीसगढ़ का सरगुजा जिला पूर्ववर्ती शासनकाल में सरकारी जमीन की बंदरबांट के लिए प्रदेशभर में बदनाम हुआ था, वहां अब बदलाव की कई नई और असरकारी गाथाएं लिखी जा रही हैं। एक ओर कलेक्टर राजस्व प्रकरणों की आनलाइन सुनवाई कर सीधा प्रसारण करा रहे हैं, तो वहीं कलेक्टाेरेट कैंपस के दफ्तरों की दीवारें भी बोल रही हैं कि भू-माफिया से सावधान। जिस कालखंड में भू-माफियाओं की सक्रियता से एक ही जमीन को कई लोगों को बिक्री करने का खेल चल रहा था, विस्थापित बंगालियों के पुनर्वास की जमीन की नियम विरुद्ध तरीके से खरीद-बिक्री हो रही थी, राजस्व प्रकरणों की सुनवाई में मनमानी चल रही थी तब राजस्व से जुड़े कई अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई।
,कमीशनखोरी की शिकायतें आम थीं। अब जिला प्रशासन की पहल से इन दफ्तरों की दीवारों पर भू माफिया से सतर्क रहने की सलाह देने के अलावा शिकायत के लिए अफसरों के नंबर भी दिए गए हैं। इसके तहत एसडीएम न्यायालय, तहसील कार्यालय , नजूल कार्यालय के आसपास की दीवारें आमजन को भू माफियाओं से सतर्क कर रही हैं।यह अलग बात है कि प्रशासन की कोशिशें अभी भी रंग नहीं ला सकी है। आज भी भू माफियाओं की सक्रियता कलेक्टोरेट परिसर में देखी जा सकती है। आज भी कुछ अधिकारियों से इनकी तगड़ी सेटिंग हैं।अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से भू माफियाओं का काम जिस तेजी से होता है उतनी गति जनसामान्य के राजस्व से जुड़े प्रकरणों में कहीं नजर नहीं आती है। छोटे-छोटे काम के लिए लोग परेशान होते है। फौती,नामांतरण,सीमांकन जैसे काम जन सामान्य के लिए आज भी किसी चुनौती से कम नहीं है इसका मुख्य कारण पहुंच और प्रभाव वाले वे अधिकारी-कर्मचारी है जो अपने हिसाब से पदस्थापना और स्थानांतरण कराने तक का माद्दा रखते हैं। सरगुजा में भू माफियाओं के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई आज तक नहीं हो सकी है। शिकायतें सामने आने के बाद भी कार्रवाई तो दूर जांच के नाम पर महीनों तक प्रकरण को लटकाए रखा जाता है। सरगुजा में जमीन खरीदने से पहले सेटलमेंट के दौर से आज तक की स्थिति की छानबीन करना बेहद जरूरी है अन्यथा बड़ी राशि निवेश करने के बाद भी जमीन गले की फांस बन सकती है। इसके लिए सालों तक न्यायालय का चक्कर लगाना पड़ सकता है।
फ्लेक्स दे रहे गवाही,भू माफिया हैं सक्रिय
प्रशासन को ही कलेक्टोरेट परिसर में जगह जगह सार्वजनिक सूचना प्रसारित करनी पड़ रही है कि भूमि दलालों से सावधान रहें। रुपयों के लेन-देन के किसी भी प्रकार की शिकायत और सूचना देने के लिए तीन नंबर सार्वजनिक किए गए हैं। यह मोबाइल नंबर राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों के हैं। प्रशासन का मानना है कि इस प्रयास से लोग सजग और सतर्क होंगे। भूमि दलालों को जमीन धोखाधड़ी का अवसर नहीं मिलेगा।
जमीन से जुड़ी सर्वाधिक शिकायतें इसलिए जागरूक करने का प्रयास
यह परिस्थिति इसलिए निर्मित हुई है कि प्रशासन और पुलिस तक प्रतिदिन जमीन से जुड़ी शिकायतें पहुंचती हैं।जमीन पर बेजा कब्जा, पहुंच और प्रभाव के दम पर बेदखल कराने की नोटिस, बलपूर्वक दूसरे की जमीन को अपना बताने, एक ही जमीन को कई लोगों को बिक्री कर देने जैसी शिकायतें आम हो चुकी हैं। इन सब के पीछे राजस्व विभाग के कुछ मैदानी कर्मचारियों के अलावा भूमि दलालों का हाथ होता है। राजस्व विभाग के अधिकारियों से ही सांठगांठ कर यह जमीन से जुड़े प्रकरणों को इतना उलझा देते हैं कि सामान्य आदमी अपना अधिकार प्राप्त करने परेशान हो जाता है।दूसरे की जमीन पर कब्जे को लेकर मारपीट, प्रताड़ना से आत्महत्या जैसी घटनाएं भी सरगुजा जिले में हो चुकी हैं। पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारियों द्वारा कई भू माफियाओं के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई के बावजूद इस अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लग पाने के कारण ही अब जनसामान्य को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है इन फ्लेक्स के माध्यम से लोगों से अपील की जा रही है कि वह माफियाओं से सावधान रहें। रुपये लेनदेन को लेकर किसी प्रकार की कोई शिकायत हो तो बेझिझक फोन के माध्यम से सूचित कर सकते हैं।प्रशासन उन प्रकरणों की त्वरित जांच करेगा और नियमानुसार कार्रवाई भी होगी।
इन कारणों से मिला बढ़ावा
सरगुजा जिले में भू माफियाओं को बढ़ावा देने में पूर्व में पदस्थ कुछ अधिकारी कर्मचारियों के अलावा वर्तमान में सरगुजा में ही सेवा दे रहे राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारियों की मुख्य भूमिका रही है। अब तो स्थिति यह हो गई है कि किसी भी जमीन का प्रकरण राजस्व विभाग के कुछ मैदानी कर्मचारियों द्वारा ही इतना उलझा दिया जाता है कि खरीदार सारी प्रक्रिया पूर्ण कर उस जमीन को खरीदी करने के बाद भी उस पर अपना अधिकार प्राप्त नहीं कर पाता।उस जमीन के कई दावेदार खड़े कर दिए जाते हैं। राजस्व विभाग के कुछ मैदानी कर्मचारियों को प्रत्येक भूखंड की जानकारी है कि किस जमीन पर किस प्रकार का विवाद है। इसकी जानकारी वह भू माफियाओं को देते हैं। पहुंच प्रभाव के दम पर वह माफियाओं द्वारा ऐसी ही विवादित जमीनों पर नजर लगा कर उस पर अपना अधिकार जताया जाता है।बकायदा प्लाटिंग कर उसकी बिक्री की जाती है। साधारण व्यक्ति भू माफियाओं से लड़ने सक्षम नहीं होता कुछ अधिकारी भी राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारियों और भू माफियाओं की इच्छा के अनुरूप ही काम करते हैं, जिससे जमीन खरीदार थक हार कर चुप बैठ जाता है।
पहुंच व प्रभाव के दम पर स्थानांतरण
सरगुजा जिले में राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारियों के स्थानांतरण में भी पहुंच और प्रभाव का असर दिखता है। शहर और उसके आसपास के क्षेत्र में राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारी नौकरी शुरू करने से लेकर सेवानिवृत्ति तक सेवाएं दे रहे हैं जबकि दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में पदस्थ कर्मचारियों को शहरी क्षेत्र में कार्य करने का अवसर नहीं मिलता है।शहर में पहुंच और प्रभाव वाले राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारियों द्वारा मनचाहा स्थल पर पदस्थापना कराई जाती है। शहर व आसपास हल्का में अगल-बगल के ही राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारी पदस्थ कर दिए जाते हैं।कभी ऐसा नहीं हुआ कि शहरी क्षेत्र के विवादास्पद राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारियों को किसी दूसरे तहसील में पदस्थ किया गया हो,इसका लाभ भी इन राजस्व कर्मचारियों को मिलता है।