भारतीय संस्कृति में रक्तदान सर्वश्रेष्ठ दान
बालोद। नईदुनिया न्यूज भारतीय संस्कृति में दान को विशेष महत्व दिया गया है। रक्तदान सर्वश्रेष्ठ दान है। इस दान का सीधा संबंध मानव के जीवन से है। भारत में समय पर रक्त न मिल पाने के कारण प्रतिवर्ष कितनी ही जानें चली जाती हैं। उपरोक्त तथ्य को दृष्टिगत रखते हुये विहंगम योग संत समाज, सुपूज्य संत प्रवर श्विज्ञानदेव महाराज के जन्मोत्सव के अवसर पर प्रति वर्ष 28 अक्टूबर का
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Publish Date: Mon, 29 Oct 2018 09:38:30 AM (IST)
Updated Date: Mon, 29 Oct 2018 09:38:30 AM (IST)

बालोद। नईदुनिया न्यूज
भारतीय संस्कृति में दान को विशेष महत्व दिया गया है। रक्तदान सर्वश्रेष्ठ दान है। इस दान का सीधा संबंध मानव के जीवन से है। भारत में समय पर रक्त न मिल पाने के कारण प्रतिवर्ष कितनी ही जानें चली जाती हैं। उपरोक्त तथ्य को दृष्टिगत रखते हुये विहंगम योग संत समाज, सुपूज्य संत प्रवर श्विज्ञानदेव महाराज के जन्मोत्सव के अवसर पर प्रति वर्ष 28 अक्टूबर को विश्वव्यापी रक्त दान शिविर का आयोजन करता आ रहा है। इस अवसर पर संत प्रवर स्वयं रक्त दान देकर रक्त दान के महत्व का संदेश संपूर्ण विश्व को प्रदान करते हैं।
रक्तदान के विषय में संत प्रवर जी का कहना है कि जितना हमारा जीवन त्याग, समर्पण, सेवाए परोपकार, प्रेम में व्यतीत होगा। जितना हम मानवता के गुणों के नजदीक होंगे। उतने ही हम मानव कहलायेंगे। मनुष्य कहलायेंगे मानव की पहचान मानवता से है। इंसान की पहचान इंसानियत से है। स्वयं के लिए सभी जीते हैं। दूसरों के सुख के लिए, दूसरों के हित के लिए जो जीता है। वहीं वास्तव में मानव है सेवा महान वस्तु है। रक्तदान सेवा महान सेवा है। उपरोक्त क्रम में विहंगम योग संत समाज द्वारा बालोद में रक्तदान शिविर का आयोजन किया है, जो कि अत्याधिक सफलता के साथ संपन्ना हुआ। इस शिविर में 20 गुरु भाईयों ने रक्तदान किया। इस शिविर को सफलता पूर्वक संपन्ना हुआ।