बलौदाबाजार। लापता बच्चों को खोजने में पुलिस विभाग ज्यादा गंभीर नहीं है। पिछले डेढ़ साल के अंतर्गत जिले से 191 गायब नाबालिग बच्चों में से पुलिस अब तक 77 को नहीं ढूंढ पाई है। बचपन बचाओ आंदोलन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुम हुए बच्चों की तालाश में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। इस कारण पुलिस नाबालिगों को खोजने अभियान चला जा रही है। जिले में महिला पुरुष भी गायब हो रहे हैं लेकिन नाबालिग बालक-बालिकाओं का गायब होना और उनका पता नहीं लगने से मामला गंभीर हो जाता है। जिन नौनिहालों को लेकर खुद के भविष्य को लेकर अच्छे बुरे की समझ नहीं हैं, वे लापता होने के बाद किस तरह दिन काट रहे होंगे।
जानकारी के अनुसार पिछले डेढ़ साल में बलौदाबाजार जिले में 191 बच्चे-बच्चियां लापता हुए हैं जिनमें से पुलिस अब तक सिर्फ 114 को ही ढूंढने में कामयाब हो पाई है बाकी 77 नाबालिग अभी भी लापता है। जिले में सबसे ज्यादा 160 नाबालिग लड़कियां गायब हुई हैं जिनको ढूंढने में पुलिस विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पुलिस ने 160 बालिकाओं में सिर्फ 90 लड़कियों को सही सलामत अपने घर पहुंच पाई बाकी 90 बालिकाएं अभी भी गायब हैं।
प्रेम-प्रसंग के चलते भी गुमशुदगी के मामले बढ़े
वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नाबालिगों के लापता होने के मामले में प्रमुख कारण प्रेम-प्रसंग है। कम उम्र के लड़के-लड़की भावनाओं में बहकर घर से निकल जाते हैं और वे बालिग होकर लौटते हैं तो उनके बीच पति-पत्नी का रिश्ता बन गया होता है। ऐसे कई लोग बच्चे के साथ भी आते हैं। जिले में ऐसे नाबालिग अपने दूर के रिश्तेदारों के साथ प्रदेश से बाहर दूसरे राज्यों में वर्षों गुजार देते है। सालों बाद कुछ लोग लौट आते हैं और कुछ वहां रुक भी जाते हैं।
लापता होने पर कुछ ही दिन पतासाजी करती है पुलिस
गुम हुए लोगों की पतासाजी पुलिस कुछ दिन करती है। इसके बाद यह काम उनके परिजनों के भरोसे छोड़ दिया जाता है। जिले में मानव तस्करी निरोधक दस्ता का भी गठन किया गया है। उसके बाद भी जिले में मानव तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं। एक दो साल गुमशुदा लोगों की तलाश के बाद परिजन भी थक हार कर ढूंढना बंद कर देते हैं।
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जिले से गुम हुए ज्यादातर बच्चे सही सलामत आ गए हैं। जो बच्चे अभी तक वापस नहीं आए हैं, उनकी तलाश की जा रही है। जल्द ही वे वापस आ जाएंगे। हमारी टीम इस पर काम रही है।
-विमल बैस, एएसपी, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा।