
बलौदाबाजार। विकासखंड के ग्राम मुंडा में कोमल वर्मा के घर संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा चल रही है। पंचम दिवस ओंकारेश्वर आश्रम पलारी जिला बालोद से आए कथावचक पं. अमित सरस्भारती झा पलारी ने कथा के बाद भजन सुनाए। भजन से श्रोता झूमने लगे।
पंडित अमित ने श्रोता समाज को बताया कि कैकेयी में जो त्याज्य तत्व है, जो छिलका है, जो गुठली है, उन सबको श्रीभरत के चरित्र में अलग कर दिया गया है। श्रीभरत द्वारा पादुकाओं को सिंहासन पर बैठाने में उनकी क्या भावना थी? कैसे हम संसार में कर्तव्य धर्म का पालन करें? जब सिंहासन पर व्यक्ति बैठेगा, पद ग्रहण करेगा तो यह मान लेगा कि लक्ष्मी का, संपत्ति का, पृथ्वी का स्वामी मैं हूं, पर पद और पादुका का बड़ा अद्भुत संबंध है। श्रीभरत ने पादुकाओं को सिंहासन पर रख दिया। श्रीभरत ने कहा कि पादुका को सिंहासन पर मैंने इसलिए रख दिया और पैरों पर इसलिए नहीं पहना कि यदि मेरी पादुका होती तो मैं पहन लेता, परंतु जब यह पादुका प्रभु की ही पादुका है और प्रभु की पादुका में यदि अपना पैर घुसाने की चेष्टा करेंगे तो चोर कहलाएंगे। जो कुछ वस्तु है, संपत्ति है, सब भगवान की ही है और हम केवल निमित्त बन करके, यंत्र बन करके उनके आदेश का पालन करने वाले हैं, यह वृत्ति लेकर के जब कर्त्तव्य धर्म का पालन किया जाता है जैसा कि श्रीभरत ने किया, तो मानो इसका अभिप्राय यह है कि कैकेयी का अहंकार, आसक्ति और फल की इच्छा, इन तीनों दोषों का निराकरण श्रीभरत द्वारा हो गया।
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इंसान की मृत्यु के साथ केवल कर्म ही जाता हैः टंक राम
सुहेला। समीपस्थ ग्राम भोथीडीह में स्व. श्रीराम वर्मा की स्मृति में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन रामप्यारी वर्मा व परिवार द्वारा किया गया। आचार्य बाल व्यास चंदन गिरी गोस्वामी सिंगारपुर मावली प्रवचनकर्ता थे। कथा के चतुर्थ दिवस अंचल के समाजसेवी व जिला पंचायत रायपुर के उपाध्यक्ष टंक राम वर्मा ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन नश्वर है एक दिन सबको इस संसार को छोड़कर जाना पड़ेगा। किसकी मृत्यु कब होगी, किस परिस्थिति में होगी इसे कोई नहीं जानता। संसार में रोज हजारों लोग रात में सोने के बाद सुबह का सूर्य नहीं देख पाते। इसलिए सुबह उठते ही भगवान को प्रणाम करते हुए धन्यवाद देना चाहिए कि मैं आपकी कृपा से जीवित हूं।