रावन। गर्मी के मौसम में व्यक्ति को एक नहीं कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। इस समय में शीतली प्राणायाम और शीतकारी प्राणायाम के बारे में जानकारी देते हुए छत्तीसगढ; योग शिक्षक महासंघ के दीपक कुमार वर्मा ने कहा जैसे-जैसे तापमान बढ़ने लगता है, शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है।
इस मौसम में हीट स्ट्रोक, सनबर्न और निर्जलीकरण जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसे में खुद को गर्मी से बचाने और शरीर को ठंडा रखने के लिए प्राणायाम का सहारा लिया जा सकता है। दरअसल, ऐसे कई प्राणायाम हैं, जो शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करते हैं और इसलिए गर्मी के मौसम में इनका अभ्यास अवश्य किया जाना चाहिए।
सीत्कारी प्राणायाम हठ प्रदीपिका के बारे में इस प्रकार कहा गया है- 'सीत्कारं कुर्यात्तथा वक्त्रे प्राणेनैव विजृम्भिकाय। एवमभ्यासयोगेन कामदेवो द्वितीयक' अर्थात जीभ को मुंह से थोड़ा बाहर निकालकर सीत्कार करते हुए पूरक तथा नासिका से रेचक करते रहने से शारीरिक बल और सौंदर्य में वृद्घि होती है। सीत्करी प्राणायाम करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठकर जीभ को मुंह से थोड़ा बाहर निकालकर उसे अंदर की ओर मोड़ते हुए दांतों द्वारा हलके से दबा ले तथा होठों को खुला रखें। अब मुंह से 'सी...सी...सी.. सी... ' की आवाज करते हुए पूरक करें। फिर यथासंभव अंतः कुंभक करके जालंधर बंध लगा लें। तत्पश्चात मुंह सीधा करके दोनों नासिकाछिद्रों से रेचक करें। यह अभ्यास प्रारंभ में 5 से 10 बार करें, फिर धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं। यह अभ्यास बिना जालंधर बंध के भी किया जा सकता है।
इस प्राणायाम से शारीरिक सौंदर्य और बल में वृद्घि होती है। भूख, प्यास, निद्रा, आलस्य तथा अनेक रोग दूर हो जाते हैं। इसके अभ्यास से साधक को निर्माण और संहार करने की अपूर्व क्षमता भी प्राप्त होती है।
शीतली प्राणायामः शीतली प्राणायाम करने के लिए होंठों को सीकोडंकर गोलाकार कर लें। जीभ को नलिका के समान बनाकर ऊपर के होठ के साथ ऊपरी दांतों से लगाएं। अब धीरे-धीरे सांस लेकर पूरक करें। इससे वायु अंदर प्रवेश करते समय जीह्वा के नीचले अग्रभाग से स्पर्श करके शीतल होकर पहुंचेगी। इस प्रकार पूर्ण मात्रा में श्वास लेकर तीनों बंधों के साथ यथाशक्ति कुंभक करें। जब रेचक करने की आवश्यकता हो तो दोनों नासाछिद्रों से करें। पूरक, रेचक और कुंभक के समय का अनुपात 2ः4ः8 रखें। यह अभ्यास आठ-दस बार अवश्य करें। बहुत ज्यादा पसीना छूटे, गर्मी लगे तो 50 से अधिक बार तक कर सकते हैं।
भीषण गर्मी से राहत के लिए रामबाण है शीतली प्रणायामः शीतली प्राणायाम द्वारा पित्त दोष से उत्पन्ना होने वाले अनेक रोगों -भूख-प्यास ना लगना, लू लग जाना, मुख सुखना, बेचैनी घबराहट, वायु गोला तथा अफरा आदि में लाभ होता है। इसके द्वारा उच्च रक्तचाप से भी मुक्ति मिल जाती है यह प्राणायाम कफ रोगी वालों के लिए हितकर नहीं है। यह प्राणायाम गर्मी के दिनों के लिए रामबाण है।