तिल्दा। नईदुनिया न्यूज
जब किसी के भाग्य का उदय होता है तो उसका जन्म भारत की पवित्र भूमि पर होता है, क्योंकि भारत की भूमि कोई सामान्य भूमि नहीं है। यह धर्म की भूमि है। अध्यात्म की भूमि है। संस्कृति व संस्कार की भूमि है, जहां अनेक देवी-देवताओं और साधु संतों ने जन्म लिया है। इसी परम्परा में हमारे छत्तीसगढ़ के रायपुर के बरबंदा ग्राम में स्वामी आत्मानंद महाराज का जन्म हुआ। यह बातें स्वामी आत्मानंद जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्य अतिथि टंकराम वर्मा ने कही। मालूम हो कि, यह आयोजन डॉ. खूबचंद बघेल शिक्षण समिति द्वारा संचालित स्वामी आत्मानंद विद्यापीठ ताराशिव के तत्वावधान में किया गया।
जीवनी पर डाला प्रकाश
उन्होंने आगे कहा कि, स्वामीजी के स्कूल का नाम तुलेन्द्र कुमार था। शुरू से ही वे प्रतिभावान छात्र रहे व बाल्यकाल से ही वह धार्मिक, समाजिक, अध्यात्मिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हो गया था, लेकिन उन्होंने अपने व परिवार के बारे में न सोचकर समाज व देश सेवा का चुनाव किया और भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने से इंकार कर दिया। अपना सम्पूर्ण जीवन असहाय निर्बल व वनांचल के सुदूर ग्रामों में रहने वाले दीन-दुखियों के सेवा में लगाया। उनका मानना था कि, मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है, इसलिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा में लगा दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष संतराम वर्मा ने स्वामी आत्मानंद के जीवनी पर प्रकाश डाला।
ये रहे मौजूद
इस मौके पर सरपंच चंद्रिका वर्मा, ग्राम प्रमुख फेकूराम वर्मा, फेकूराम नायक, जितेंद्र वर्मा, कुंदरू सरपंच यशवंत वर्मा, खम्हरिया सरपंच नेमसिंह कटरिया, सरपंच प्रतिनिधि भिंभौंरी डॉ. रामकुमार वर्मा, मनीष वर्मा, जीवनलाल वर्मा, गजेन्द्र शर्मा, फूलचंद वर्मा, डॉ. गिरधारी लाल वर्मा, रमउ साहू, रामकुमार वर्मा, लक्ष्मण वर्मा सहित विद्यापीठ के शिक्षक शिक्षिकाएं, विद्यार्थी व ग्रामीण उपस्थित रहे।