देवभोग। पति की मौत किडनी रोग से हो गई। तीन बच्चियों के साथ बिल्कुल अकेली पड़ गई थी। मन में ख्याल आता था कि तीनों बच्चियों के साथ आत्महत्या कर लूं। दिन-ब-दिन अंदर से टूटती जा रही थी। तीनों बच्चियां भूख से बिलखती रोती थीं। खाने के एक-एक दाने को मोहताज थे। मन का विश्वास भी जवाब दे चुका था। ऐसे समय में मनोज ने जिस आत्मविश्वास के साथ मुझे ही नहीं मेरे तीनों बच्चियों को अपनाया। इसके लिए हमेशा मनोज की शुक्रगुजार रहूंगी। यह दर्द सुपेबेड़ा की रहने वाली गोमती सोनवानी की है।
करीब छह साल पहले गोमती के पहले पति नित्यानंद की मौत हो गई। जिसके बाद से तीनों बच्चियों की जिम्मेदारी गोमती के ऊपर अा गई थी। ऐसे समय में नित्यानंद के चाचा के लड़के मनोज ने किसी की परवाह किए बिना निर्णय लिया कि वह बच्चों की परवरिश करेगा। साथ ही गोमती का भी ध्यान रखेगा। दूर के देवर ने भाभी के मांग में सिंदूर भरकर मानो उसे जिन्दगी जीने का नया मंत्र दे दिया है। उसी के बदौलत आज गोमती का टूटा विश्वास नए रूप में उभरकर पैदा हुआ।
जिन्दगी कभी खत्म नहीं होती
गोमती सोनवानी से चर्चा करने पर वह प्रसन्नाचित मुद्रा में बताती हैं कि एक समय तो मान लिया था कि पति के जाने के बाद जिन्दगी पूरी तरह से खत्म हो गई थी। लेकिन जिस तरह टूटते हुए विश्वास को मनोज ने संभाला और नई राह दिखाई, इसके बाद लगने लगा कि जिन्दगी कभी किसी के जाने से खत्म नहीं होती। गोमती बताती हैं कि मनोज उसकी तीनों बच्चों के हर जिद को भी पूरा करता है। सुबह स्कूल जाकर बच्चों को छोड़कर आता है और अपने कामकाज में जाता है। मनोज कहता है कि बच्चियां जहां तक पढ़ना चाहेंगी, वह उन्हें वहां तक पढ़ाएगा।
समाज के बीच पेश किया नया उदाहरण
सुपेबेड़ा के मनोज सोनवानी का यह प्रयास समाज के बीच काफी सराहनीय प्रयास माना जा रहा है। समाज के ब्लॉक अध्यक्ष सुखचंद बेसरा का कहना है कि पूरा समाज मनोज के इस प्रयास की तारीफ करता है। बेसरा के मुताबिक मनोज का निर्णय निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है। इससे समाज में विधवा विवाह को प्रोत्साहन मिलेगा।
वहीं सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह ठाकुर की माने तो मनोज का यह कदम काफी सराहनीय योग्य है। हर समाज को विधवा विवाह को लेकर आगे आना चाहिए। देवेन्द्र के मुताबिक मनोज ने समझा कि गोमती किन परिस्थितियों में जिन्दगी जी रही है,ऐसे समय में उसे सहारा देकर उसे पुनः जिन्दगी जीने की राह दिखा दी। गांव के त्रिलोचन और गोपाल सोनवानी के मुताबिक मनोज के इस निर्णय का पूरा गांव भी स्वागत करता है। उसकी तारीफ सुपेबेड़ा के साथ ही आसपास के गांव के लोग भी करते हैं।