
नईदुनिया,बोड़ला : कवर्धा थाना क्षेत्र के एक कुएं में नवजात शिशु का शव मिलने की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। शुरुआत में ग्रामीणों ने इसे संदेहास्पद मौत माना, लेकिन पुलिस टीम ने प्राथमिक स्तर से ही इसे गंभीरता से लिया। घटनास्थल निरीक्षण, पानी से निकाले गए शव की स्थिति और मेडिकल टीम के प्रारंभिक विश्लेषण में स्पष्ट हुआ कि मामला किसी हादसे या गलती का नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति द्वारा फेंके जाने का लग रहा है। इसी आधार पर पुलिस ने जांच को हत्या की दिशा में आगे बढ़ाया।
जांच के दौरान पुलिस ने आसपास के गांवों में हाल के प्रसव और नवजातों की जानकारी जुटानी शुरू की। इसी दौरान समरौतिन बाई बैगा का नाम सामने आया, जिसने लगभग 15 दिन पहले ग्राम मुडघुसरी में प्रसव किया था। लेकिन जब पुलिस उसके मायके नवाटोला रानीदहरा पहुंची तो वहां नवजात नहीं था। महिला के जवाबों में विरोधाभास और परिवार की विचलित प्रतिक्रिया ने जांच टीम को और सख्ती के लिए प्रेरित किया।
गहन पूछताछ के दौरान महिला रो पड़ी और उसने वह स्वीकारोक्ति की जिसने उपस्थित अफसरों तक को सन्न कर दिया। आरोपित समरौतिन बाई ने बताया कि मायके लौटने के बाद उसे परिजनों ने नवजात को बोझ बताते हुए बहकाया। मानसिक दबाव में आकर उसने बच्चे को रात के समय जिंदा कुएं में फेंक दिया। कबूलनामे के बाद पुलिस टीम घटना स्थल पर लेकर गई, जहां गवाहों की उपस्थिति और वीडियोग्राफी के साथ घटनाक्रम पुनर्निर्माण कराया गया। हर बिंदु मेल खाने के बाद यह पूरी तरह प्रमाणित हो गया कि बच्चे को जानबूझकर कुएं में फेंका गया था।
यह भी पढ़ें- Liquor scam: पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास ने 16 करोड़ अवैध कमाए, हर माह मिलते थे 50 लाख रुपये
पुलिस ने अपराध क्रमांक 197/2025 धारा 103(1) बीएनएस के तहत केस दर्ज कर आरोपित महिला को गिरफ्तार कर लिया। अफसरों ने स्पष्ट कहा है कि नवजात की हत्या जैसा अपराध किसी भी दृष्टि से क्षम्य नहीं है और आगे की प्रक्रिया में कानून की कठोरतम धाराएं लागू की जाएंगी। पूरी जांच पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह के निर्देशन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेन्द्र बघेल व पंकज पटेल के मार्गदर्शन तथा एसडीओपी बोड़ला अखिलेश कौशिक के पर्यवेक्षण में की गई।
पुलिस ने नागरिकों से आग्रह किया है कि यदि किसी प्रसूता, नवजात या परिवार में दबाव जैसी स्थिति दिखाई दे तो बिना डर के पुलिस को सूचित करें। जानकारी छिपाना अपराध को बढ़ावा देता है और कई बार परिणाम मासूमों की जान के रूप में सामने आता है।