बालोद। ग्राम बड़गांव के महार समाज के 18 व्यक्तियों के ऊपर महार जाति का फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोप को समाज के पदाधिकारियों ने गलत बताया है। इस समाज को धूमिल करने का कुचक्र कहा है।
छत्तीसगढ़ महार (महरा) समाज के प्रदेश सलाहकार कुलदीप कौशल ने कहा कि महरा जाति के लोग सेन्ट्रल प्रोविसेंस एण्ड बरार राज्य के समय वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य जो चौदह रियासतों में विभक्त था का मूल निवासी महार जाति है। इसे छत्तीसगढ़ बोली में महरा कहा जाता है। आजादी के बाद सन् 1948 में सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा अखंड भारत का निर्माण किया गया। तब राज्य पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ राज्य उनके घटक राज्य था। 1976 से अनुसूचित जाति के द्वितीय संविधान संसोधन के तहत महार, मेहरा, मेहर जाति को वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य में महरा, माहरा, बया, बया महरा/बया महार जाति को महार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाता रहा है। जिसके तहत महरा जाति के लोग आज भी महार जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर अनुसूचित जाति को प्रदत्त संवैधानिक लाभ ले रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि अविभाजित मध्यप्रदेश द्वारा 1996 में मध्यप्रदेश की महरा जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया था। प्रेषित प्रस्ताव को मान्य करते हुए भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2002 में मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति की सूची में अनुक्रमांक 36 पर महरा जाति को महार, मेहरा, मेहर के साथ शामिल किया गया। अविभाजित मध्यप्रदेश से पृथक कर बनाए गए छत्तीसगढ़ राज्य की सूची में महरा जाति को शामिल करने संबंधी प्रस्ताव मई 2008 को भेजी गई किन्तु आज पर्यन्त सात-आठ वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति की सूची में अधिसूचित नहीं किया गया है।
फर्जी जाति प्रमाण का आरोप गलत
बालोद। ग्राम बड़गांव के महार समाज के 18 व्यक्तियों के ऊपर महार जाति का फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोप को समाज के पदाधिकारियों ने गलत बताया है। इस समाज को धूमिल करने का कुचक्र कहा है।
छत्तीसगढ़ महार (महरा) समाज के प्रदेश सलाहकार कुलदीप कौशल ने कहा कि महरा जाति के लोग सेन्ट्रल प्रोविसेंस एण्ड बरार राज्य के समय वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य जो चौदह रियासतों में विभक्त था का मूल निवासी महार जाति है। इसे छत्तीसगढ़ बोली में महरा कहा जाता है। आजादी के बाद सन् 1948 में सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा अखंड भारत का निर्माण किया गया। तब राज्य पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ राज्य उनके घटक राज्य था। 1976 से अनुसूचित जाति के द्वितीय संविधान संसोधन के तहत महार, मेहरा, मेहर जाति को वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य में महरा, माहरा, बया, बया महरा/बया महार जाति को महार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाता रहा है। जिसके तहत महरा जाति के लोग आज भी महार जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर अनुसूचित जाति को प्रदत्त संवैधानिक लाभ ले रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि अविभाजित मध्यप्रदेश द्वारा 1996 में मध्यप्रदेश की महरा जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया था। प्रेषित प्रस्ताव को मान्य करते हुए भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2002 में मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति की सूची में अनुक्रमांक 36 पर महरा जाति को महार, मेहरा, मेहर के साथ शामिल किया गया। अविभाजित मध्यप्रदेश से पृथक कर बनाए गए छत्तीसगढ़ राज्य की सूची में महरा जाति को शामिल करने संबंधी प्रस्ताव मई 2008 को भेजी गई किन्तु आज पर्यन्त सात-आठ वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति की सूची में अधिसूचित नहीं किया गया है।
फर्जी जाति प्रमाण का आरोप गलत
बालोद। ग्राम बड़गांव के महार समाज के 18 व्यक्तियों के ऊपर महार जाति का फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोप को समाज के पदाधिकारियों ने गलत बताया है। इस समाज को धूमिल करने का कुचक्र कहा है।
छत्तीसगढ़ महार (महरा) समाज के प्रदेश सलाहकार कुलदीप कौशल ने कहा कि महरा जाति के लोग सेन्ट्रल प्रोविसेंस एण्ड बरार राज्य के समय वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य जो चौदह रियासतों में विभक्त था का मूल निवासी महार जाति है। इसे छत्तीसगढ़ बोली में महरा कहा जाता है। आजादी के बाद सन् 1948 में सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा अखंड भारत का निर्माण किया गया। तब राज्य पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ राज्य उनके घटक राज्य था। 1976 से अनुसूचित जाति के द्वितीय संविधान संसोधन के तहत महार, मेहरा, मेहर जाति को वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य में महरा, माहरा, बया, बया महरा/बया महार जाति को महार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाता रहा है। जिसके तहत महरा जाति के लोग आज भी महार जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर अनुसूचित जाति को प्रदत्त संवैधानिक लाभ ले रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि अविभाजित मध्यप्रदेश द्वारा 1996 में मध्यप्रदेश की महरा जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया था। प्रेषित प्रस्ताव को मान्य करते हुए भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2002 में मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति की सूची में अनुक्रमांक 36 पर महरा जाति को महार, मेहरा, मेहर के साथ शामिल किया गया। अविभाजित मध्यप्रदेश से पृथक कर बनाए गए छत्तीसगढ़ राज्य की सूची में महरा जाति को शामिल करने संबंधी प्रस्ताव मई 2008 को भेजी गई किन्तु आज पर्यन्त सात-आठ वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति की सूची में अधिसूचित नहीं किया गया है।