दल्लीराजहरा। दल्लीराजहरा नगर में जिस तरह आबादी और आवासीय क्षेत्रों का विस्तार होता जा रहा है, इसका सबसे बुरा असर जमीन भूमि की कीमतों पर पड़ा है। 270 एकड़ राजस्व की भूमि प्राप्त होने के बाद नगरपालिका दल्लीराजहरा के संपूर्ण 27 वार्ड और आसपास क्षेत्र के भूमि की दर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वहीं, भूख स्वामियों द्वारा भूमि के नाम पर ऊंचे दरों पर भूमि विक्रय के जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है।
दल्लीराजहरा के विभिन्न वार्डों और चिखलाकसा के आसपास क्षेत्रों में बालोद जिला निर्माण के बाद भूमि के दर में तेजी आई है। नगर में सार्वाधिक व्यस्तम इलाकों क्षेत्र की जमीन की कीमतें मुंहमांगी कीमत पर विक्रय होने लगी है। आसपास के ग्रामीण अंचलों की जमीन की रेट आसमान छूने लगी है। दल्लीराजहरा से बीएसपी कर्मचारियों की लगातार छंटनी और पलायन के बावजूद जमीन के रेट कम होने के बावजूद तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। नगर के बीएसपी नियंत्रित टाऊनशिप को छोड़कर अन्य हिस्सो में जमीन मकान के रेट सुनकर खरीददारों के होश उडने लगे हैं।
नगर में व्यवस्थित रूप से बसे कालोनियों नगरों के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों गली मुहल्ले में स्थित जमीन मकान की खरीदी करना अब आम बस की बात नहीं रह गई है। ऐसे ही भीड़भाड़ वाले बस्तियों में जमीन मकान फुट मीटर के हिसाब से बिकने लगे हैं, जहां के निवासरत लोगों को जमीन का पट्टा अभी तक नसीब नहीं हो पाया है।
लोगों ने कहा कि आबादी और नगर क्षेत्र का विस्तार होने से ग्रामीण क्षेत्र भी अछूते नहीं रह गए है। यहां के जमीन भूमि के रेट पिछले दो दशकों में 10 से 15 गुनी महंगी तक बढ़ गई है। बताया जाता है कि नगर में भूमि आवास की सुविधा से वंचित लोगों को नगर के आसपास प्लाट इत्यादि नसीब नहीं होने अथवा मुंहमांगी कीमत पर बिकने कारण ऐसे लोग आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बसने लगे हैं, जिसके कारण ग्रामीण अंचल में भी जमीन मकान के रेट काफी बढ़ गए हैं। बालोद जिला बनने के बाद कीमतों में और तेजी आने की संभावना बढ़ गई है। रेलवे की भूमि पर बसें और राजस्व की भूमि पर वर्षों से बसे होने के बावजूद दल्लीराजहरा में भूमि के दर तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि अब तक नगर वासियों को राजस्व पट्टा प्राप्त नहीं हुआ है, परंतु दरों में कोई कमी नहीं हुई है लगातार निर्माण कार्य बढ़ रहे हैं दर बढ़ते जा रहे हैं।