बालोद (नईदुनिया न्यूज)। बरसात हो या गर्मी खुले आसमान के नीचे रेक प्वाइंट के मजदूरों को इस वर्ष भी तपती धूप में काम करना पड़ेगा। रेक प्वाइंट में मजदूरों द्वारा शेड लगाने, पीने की पानी की व्यवस्था सहित अन्य समस्याओं को लेकर रेलवे के अधिकारियों व ठेकेदारों को कई बार अवगत कराने के बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
रेक प्वाइंट में मजदूरों को बैठने के लिए शेड नहीं बना है। मजदूरों को मालगाड़ी के नीचे बैठकर भोजन करना पड़ता है। मजदूरों ने बताया कि रेक प्वाइंट में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। सरकार द्वारा चलाई जा रहे योजनाओं का भी लाभ हमालों को आज तक नहीं मिल पाई है। वहीं रेक प्वाइंट में काम कर रहे हमाल मंगला साहू, युवराज साहू, परसराम साहू, संतोष साहू, जितेंद्र साहू, राजेंद्र साहू, लीलाधर, नारायण यादव, शेखर साहू, गजेंद्र साहू, लिखू लहरी, रोहित साहू, ईश्वर साहू सहित हमाल संघ ने बताया कि रेक प्वाइंट में तकरीबन 250 हमाल मजदूर काम करते हैं। रेक प्वाइंट में हमालों के लिए है न तो शेड बनी हुई है और न ठहरने की जगह है। मालगाड़ी के नीचे छांव में बैठकर आराम करते हैं।
मालगाड़ी के नीचे बैठकर दोपहर का खाते हैं खाना
तपती धूप में हमाल मालगाड़ी के नीचे बैठकर दोपहर का खाना खाते हैं। वहीं बरसात के दिनों में पानी बरसात में भींग-भींग कर काम करना पड़ता है। राज्य में रेलवे बोर्ड ट्रांसपोर्ट कंपनी को करोड़ों का आय देने वाले बालोद में रेक प्वाइंट के मजदूरों की हालत नहीं सुधरी। रेक प्वाइंट में कई मर्तबा तो मजदूरों द्वारा काम बंद कर हड़ताल भी किया जा चुका है। वहीं अधिकारी झूठा आश्वासन देकर समस्याओं पर टालमटोल करते रहे। ईश्वर साहू, लीलाधर साहू, जितेंद्र कुमार साहू, देवेंद्र साहू, लालजी साहू, जनकलाल, शेखर, रोहित कुमार साहू, युवराज, धर्मेंद्र साहू सहित हमालों ने बताया कि रेक प्वाइंट में शेड का अभाव सबसे बड़ी समस्या है।
छोटे से छोटे रेलवे स्टेशन में बना शेड
जिले के छोटे से छोटे रेलवे स्टेशन में शेड बन गया है लेकिन बालोद जिले के रेलवे स्टेशन रेक प्वाइंट में आज तक शेड नहीं लग पाया है। इसके लिए हमाल ही नहीं शहर के व्यापारी संघ द्वारा भी कई बार मांग की जा चुकी है। शेड के अभाव में यहां दिन हो या रात, बरसात हो या धूप, या फिर कड़ाके की ठंड, सभी मौसम में मजदूरों को खुले आसमान के नीचे काम करना पड़ता है। रेक प्वाइंट के ठेकेदार द्वारा जब भी मालगाड़ी आए, उसे खाली कराने का ठेकदार के द्वारा दबाव बनाया जाता है। काम करने का समय खत्म होने के बाद भी भूखे-प्यासे, थके-हारे मजदूरों ठेकेदारों की बात को मानते हुए काम करते हैं। वही खुले आसमान के नीचे काम करने में काफी दिक्कत होती है। इस रेक प्वाइंट में रोशनी के भी प्रयाप्त इंतजाम नहीं है। रात को ठंड व अंधेरे के बीच काम करने में भारी परेशानी होती है। वहीं मजदूर डोमेंद्र साहू ने बताया तपती धूप में हमाल काम करते है। रेक प्वाइंट में शेड निर्माण के लिए मांग ठेकेदार व अधिकारियों से करने के बाद भी इधर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। युवराज साहू के मुताबिक जब से काम में आ रहे हैं तब से सरकार की योजनाओं का किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिल पा रहा है। रोहित साहू ने जानकारी दी कि रेक प्वाइंट में शेड नहीं होने के कारण बरसात का पानी जमने से कीचड़ कि स्थिति निर्मित हो जाती है। युवराज मंडावी ने बताया कि धूप, बारिश, ठंडी और अंधेरे के बीच काम करने में भारी परेशानी हो रही है। रात के समय अचानक बारिश होने से मालगाड़ी के नीचे छुपकर रहना पड़ता है। जिसमें रात के अंधेरे में सांप और बिच्छू काटने का डर हमेशा लगा रहता है। पप्पू लहरे ने कहा करीब 250 मजदूर काम करते हैं। बालोद रेक प्वाइंट में काम कर रहे हमाल परिवार चलाने के लिए दूरदराज के गांवों से आकर यहां काम करते हैं। मनहरण ठाकुर ने बताया कि ठेकेदार की मनमानी के चलते हमालों को आज तक कोई भी सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।