बालोद। इस बार न्यू ईयर पर दो दिन की छुट्टियां पड़ रही है। एक जनवरी शनिवार को अवकाश रहता है। दो जनवरी को रविवार का अवकाश रहेगा। ऐसे में बहुत से लोग 31 दिसंबर शुक्रवार को एक दिन का अवकाश लेकर या उस दिन शाम को कहीं बाहर घूमने का प्लान बना रहे हैं।
ऐसे में हम उन्हें बालोद जिले में अपने शहर से 100 किलोमीटर के दायरे में कौन-कौन सी ऐसी जगह है, जहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए जा सकते हैं। उन जगहों की खासियत, वहां कैसी तैयारियां हैं, उनके बारे में बता रहे हैं, जहां आप नए साल का जश्न प्राकृतिक वादियों के बीच मना सकते हैं, जिले के पिकनिक स्पाट इसके लिए तैयार हैं, जानिये जिले के उन जगहों के बारे में।
ओनाकोना का त्रयंबकेश्वर धाम
गुरुर के ग्राम कर्रेझर के आश्रित ग्राम ओनाकोना का त्रयंबकेश्वर धाम जिले में सबसे सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में माना जाता है। गंगरेल बांध के डूबान में समुद्री नजारे के बीच यहां प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार किया जा सकता है। मंदिर के एक तरफ सिर्फ पानी और दूसरी तरह सिर्फ पहाड़ी है, जो लोगों का ध्यान खिंचती है। मंदिर सहित गंगरेल डुबान के किनारे खूबसूरत नजारे देखने लोग यहां पहुंचते हैं।
ये रखें सावधानी
यहां आने वाले लोग झरनों के बीच मस्ती करते हैं। कुछ साल पहले झरने के जलकुंड में गिरने से दो युवकों की मौत हो चुकी है। तब से मंदिर समिति भी लोगों को आगाह करती है कि ज्यादा पानी होने पर झरने के पास न जाए। दूर से ही देखें। रात में रुकने लायक यह जगह नहीं है।
कैसे जाए
बालोद-धमतरी मार्ग से घोटिया चौक या सांकरा क से यहां जाने के लिए सड़क बनी है। यात्री बस नहीं चलती। लोगों को निजी वाहनों से ही जाना पड़ता है। बस बुक करवा कर अधिकतर लोग यहां आते है। बालोद से ज्यादा दुर्ग, भिलाई व अन्य जिले के लोग आते हैं।
सियादेही का झरना गुफा करते हैं आकर्षित
गुरुर ब्लाक के ग्राम नारागांव के सियादेही का नाम भी धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां के झरने और गुफाएं सहित आकर्षक मंदिर देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। बरसात में यहां का नजारा मनोरम रहता है। हरी-भरी वादियों के बीच पहाड़ों में माता का मंदिर है। इस मंदिर में जाने से पहले लोग रास्ते में पड़ने वाले रानी माई मंदिर का भी दर्शन करते हैं। पिकनिक के लिए बेहतर स्थान है।
बेंदराकोना में मयूर भी देखे जा सकते हैं
तांदुला से एक किमी दूर पर बेंदराकोना है। जो तांदुला का ही एक हिस्सा है। यह एक अनजान जगह है। अधिकतर पर्यटकों को इस स्थान के बारे में ज्यादा मालूम नहीं है। हालांकि ये स्थान दुर्गम है। गाडी आधे रास्ते तक जाती है। जानकारी होने पर पर्यटक तांदुला डेम छोड़कर यहां मयूर भी देखने को पहुंच जाते हैं।
गंगा मैय्या मंदिर में देशभर से दर्शन के लिए आते हैं
बालोद मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित मंदिर में सैकड़ों श्रद्घालु पहुंचेंगे। राज्य में धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में झलमला के गंगा मैय्या का नाम विख्यात है। यहां राज्य सहित देश के अलग जगहों से भी भक्त माता के दर्शन के लिए आते है। यहां कैलाश गुफाएं पानी का फाउंटेन नवरात्रि में मेला आकर्षण का केंद्र है।
गोंदली डेम में हुई है फीस प्लांट की स्थापना
ग्राम पंचायत खेरथाडीह के पास 60 साल पुराने गोंदली डेम की सुंदरता भी किसी से छिपी नहीं है। तांदुला की तरह ये डेम भी लौगों का ध्यान खिंचती है। दो साल पहले इस डेम में फीस प्लांट की स्थापना भी की गई है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां की हरियाली देखने लायक रहती है।
कैसे पहुंचे
बालोद लोहारा मार्ग में तरौद से गोंदली डेम जाने के लिए रास्ता है। तरौद से ये पांच किमी दूर है। वहां बस नहीं जाती। निजी वाहनों से ही जाना पड़ता है। पक्की सड़क है। दल्ली, धमतरी, बालोद क्षेत्र वालो को सीधे दैहान अमलीडीह होते हुए आना पड़ता है।
तांदुला डैम प्राकृतिक सौंदर्य से भरापूरा क्षेत्र
प्राकृतिक सौंदर्य से भरा तांदुला डेम को जिले की जीवनदायी मानी जाती है। आसपास हरियाली की चादर बिखरी हुई है। दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। लहरों के बीच मस्ती व सेल्फी लेने के लिए पर्यटक पहुंचेंगे। कुछ ही दूरी पर आदमाबाद रेस्ट हाउस है।
कैसे पहुंचे
डेम तक पहुंचने बस या ट्रेन की सुविधा नहीं है। डेम दो भाग में है। जहां मेन गेट है। वहां झलमला से निजी वाहन से ही पहुंचा जा सकता है। वही एक भाग जिसे उलट कहा जाता है। वहां बालोद होकर पहुंचा जा सकता है। रास्ता बालोद से दल्ली राजहरा रोड पर है। कालेज के पास बस से उतर कर पैदल पर्यटक पहुंच सकते हैं।