दल्लीराजहरा/डौंडी। सामान्य वृक्षों की तुलना में बरगद पांच गुना अधिक आक्सीजन देता है। मानव जीवन में बरगद का अपना अलग महत्व है। इस वट वृक्ष की पूजा पांच पीढ़ियों से लोग करते आ रहे हैं। लोग इसे लगाते हैं तो कुछ भी हो जाए काटते नहीं। ऐसे समय में लगाए गए बरगद के पौधे आज विशाल रूप ले चुके हैं पर लोग इसका महत्व समझते हैं। यही कारण है कि इसकी सुरक्षा हर हाल में करते हैं। वट (बरगद) वृक्ष से ऐसा नाता लोगों का जुड़ा होता है जिनके आंगन व बाड़ी में यदि वट वृक्ष हैं तो उस पूरे इलाके की पहचान बन जाती है। महिलाएं वट सावित्री की पूजा इसी वट वृक्ष में करती हैं। धार्मिक मान्यता के साथ आक्सीजन देने वाला यह एकमात्र ऐसा पौधा है जिसके कारण आसपास का वातावरण पूरी तरह शुद्घ रहता है। वटवृक्ष के आसपास बड़े-बड़े मकान बन गए पर यह वटवृक्ष आज भी सुरक्षित हैं।
बरगद के हैं अनेक लाभ
दल्लीराजहरा वन परिक्षेत्र के अधिकारी राजेश कुमार नांदुलकर बताते हैं बरगद के अनेक लाभ हैं। बरगद की पत्तियों का आकार बड़ा होता है। पत्तियों में हरापन अधिक होने की वजह से यह सामान्य पौधों की तुलना में अधिक आक्सीजन देता है। इसकी जड़ें जमीन की ऊपरी सतह पर भी होती हैं जो बारिश में मिट्टी के कटाव को रोकती हैं। बारिश का पानी बहने के बजाए जमीन के अंदर जाता है। आसपास के इलाकों में जल संरक्षण भी होता है। बरगद की छाल व उसके तने से दूध की तरह निकलने वाले तरल पदार्थ से औषधियां बनती हैं। बरगद के पेड़ के फलों को पक्षियों खाती हैं। यह खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने में सहयोग करता है। पक्षियों के कारण ही आसपास के क्षेत्रों में बरगद के अन्य पौधे पनपते हैं। वट वृक्ष की पत्तियां कभी नहीं झड़ती, इसलिए यह पूरे वर्ष आक्सीजन देता है।