देवरीबंगला। बालोद मुख्यालय से 60 किमी दूर स्थित ग्राम गणेशखपरी में मटिया मोती नदी पर आज तक पुल का निर्माण नहीं हो सका है। जिसके चलते ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 1982 में ग्रामीणों की मांग पर प्यारे लाल बेलचंदन ने स्टाप डेम कम पुलिया का निर्माण कराया था। जो आज जर्जर हो चुका है। इतना ही नहीं वर्षा के दिनों में स्टाक डेम में पानी भरने की वजह से पानी का बहाव बढ़ जाता है। जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है। डेम के ऊपर बने पुल की ऊंचाई कम होने की वजह से भारी वाहन नहीं निकल पाते है। कई बार बीच में ही फंस जाते है।
गांव के लोग लंबे समय से पुल बनाए जाने की मांग करते आ रहे है।
लेकिन न ही जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे है और न ही प्रशासन। गांव स्तर पर कई बार हस्ताक्षर करवाकर विधायक-सांसद को मांग पत्र सौंप चुके है। प्रशासन द्वारा चार से छह बार पुलिया निर्माण करने के लिए सर्वे रिपोर्ट दिया जा चुका है। हर बार ग्रामीणों को उच्च पुलिया स्वीकृति का आश्वासन मिलते आ रहा है। ग्रामीण दुंबलिक राम, पंच संपत राम ने बताया कि ग्रामीणों की यह समस्या शासन-प्रशासन से छिपा हुआ नहीं है। इसी नदी में पीनकापार में उच्च पुल का निमार्ण किया जा चुका है। रतनभाट मुख्य मार्ग में पुल बन गया है। लेकिन गणेशखपरी को केवल सर्वे व आश्वासन ही मिलते आया है। ग्राम सभा की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। जिसमें पुल निर्माण नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। जिसकी संपूर्ण जवाबदारी शासन की होगी।
देवरी जाने के लिए करते है उपयोगः आसपास के ग्रामीण देवरी जाने के लिए भी इसी मार्ग का उपयोग करते है। यह मार्ग देवरी से नजदीक होने की वजह से लोगों के लिए यह आसान रास्ता है। लेकिन वर्षा के दिनों में लोगों को दूसरे रास्ते से जाना पड़ रहा है। उन्हें काफी दूरी तय करनी पड़ती हैं। कुआंगांव सरपंच शिवदयाल कौमार्य ने भी इस मुद्दे को कई बार उठा चुके है। जनपद सदस्य केजूराम सोनबोईर ने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से चर्चा कर अवगत करा चुके है।
स्कूल जाने में होती है परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि नदी में पानी बढ़ने की वजह से शीतलापारा के स्कूली बच्चे प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला नहीं जा पा रहे है। उच्च स्तरीय पुल नहीं होने से स्कूली बच्चों को बरसात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहीं, नदी की दूसरी ओर गोठान बना हुआ हैं। जब पानी नहीं होता तो मवेशी वहां पर जाते है। बरसात में पानी भरने की वजह से पुल भी डूब गया है। गोठान जाते समय मवेशी कई बार पुल के ऊपर गुजरते वक्त गिरने से अब तक 25 से 30 मवेशियों की मौत हो चुकी है।