दुर्ग। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को मोबाइल फोन पर धमकी देने वाले आरोपित के खिलाफ भिलाई की भट्ठी पुलिस ने एक दूसरे मामले में प्रतिबंधात्मक धारा के तहत कार्रवाई की है। आरोपित को भिलाई में एक युवक से विवाद मामले में गिरफ्तार कर एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां आरोपित को जमानत मिल गई। जमानत मिलते ही रायपुर की तेलीबांधा पुलिस आरोपित को अपने साथ लेकर चली गई। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को मोबाइल फोन पर धमकी देने के मामले में पुलिस ने सेक्टर-10 भिलाई निवासी आरोपित जसपाल सिंह रंधावा उर्फ गोल्डी के खिलाफ प्रतिबंधात्मक धारा के तहत कार्रवाई की है।
रायपुर के तेलीबांधा थाने में इस मामले में अपराध भी दर्ज है। बुधवार को भिलाई की भट्ठी पुलिस ने सेक्टर-4 भिलाई निवासी प्रवीण विश्वास के साथ मारपीट करना बताते हुए जसपास सिंह रंधावा के खिलाफ कार्रवाई कर एसडीएम अरुण वर्मा की अदालत में पेश किया।
आरोपित के अधिवक्ता रविशंकर सिंह ने बताया कि भट्टी पुलिस ने आरोपित के खिलाफ कई प्रकरण दर्ज होना बताते हुए उसके जमानत आवेदन पर आपत्ति लगाई। लेकिन सुनवाई के बाद एसडीएम न्यायालय ने आरोपित को दस हजार रुपये की जमानत दे दी। अधिवक्ता रविशंकर सिंह ने बताया कि एसडीएम न्यायालय से जमानत मिलते ही तेलीबांधा रायपुर की पुलिस आरोपित को अपने साथ ले गई।
किन लोगों का संरक्षण उनको मिल रहा : कौशिक
नेता प्रतिपक्ष रमलाल कौशिक ने कहा कि अब तक यूपी, बिहार में ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती थी। रेत माफियाओं का इतना मनोबल कैसे बढ़ गया? किन लोगों का संरक्षण उनको मिल रहा है? इतनी बड़ी घटना के बाद क्या पुलिस इस मामले को संज्ञान में नहीं ले सकती?
विधायक की शिकायत का इंतजार किया जाएगा? यह घटना एक सदस्य के साथ है। दूसरे सदस्य धान का मुद्दा ना उठा पाए, शराब का मुद्दा ना उठा पाए। क्या माफिया राज इस राज्य में शुरू हो रहा है? आखिर इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि एक जन प्रतिनिधि को जान से मारने की धमकी दी जाए? मुख्यमंत्री को यह सोचने की जरूरत है कि क्या इस राज्य को माफिया के हाथों में दे दिया जाए। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सदन जब चल रहा हो तब ऐसी धमकी सदस्य को दी जाए, इससे गंभीर मामला क्या हो सकता है।
सूचना के आधार पर दर्ज करें एफआइआर : जोगी
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि मंत्री ने उत्तर दिया है कि सदस्य एफआइआर दर्ज कराने के लिए तैयार नहीं है। यदि चंद्राकर ने डीजीपी को फोन पर बताया है, वही एफआइआर है। अलग से दर्ज करने की जरूरत नहीं है। मामला आइपीसी 506 बी दर्ज किया जाना चाहिए।