भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र की माडेक्स यूनिट एसएमएस-3 (स्टील मेल्टिंग शाप) में आरएच-एलएच सेक्शन व कास्टर-1 (सीके-1)को प्रबंधन ने आउटसोर्स (निजीकरण) पर दे दिया है। इसके बाद यहां उत्पादन बढ़ा है वहीं मेंटेनेंस भी संबंधित एजेंसी ही करेगी।
इतना ही नहीं उत्पादन प्रभावित होने जैसी स्थिति में संबंधित एजेंसी प्रबंधन को पेनाल्टी भी देगी। इसे देखते हुए प्रबंधन अब एसआरयू (सेकेंडरी रिफायनरी यूनिट) की एक और यूनिट को भी आउटसोर्स पर देने की तैयारी कर ली है। इसे लेकर विरोध भी शुरू हो गया है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के विस्तारीकरण परियोजना के तहत बनाए गए माडेक्स यूनिट को एक के बाद एक निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। एसएमएस-3 में स्थित सेकेंडरी रिफायनरी यूनिट स्थित है। जहां पर हाट मेटल में मटेरियल मिलाकर स्टील बनाया जाता है।
इस यूनिट में ही स्थित आरएच और एलएच सेक्शन को बीएसपी प्रबंधन ने आउटसोर्स पर कर दिया है। यहीं स्थित सीके-1(कास्टर-1) है। जिसे भी आउटसोर्स पर दे दिया है।
-25 हीट निकल रहा है
बताया जाता है कि कास्टर-1 में जब बीएसपी के नियमित कर्मचारी काम करते थे तो यहां 15 हीट निकलता था। परन्तु जब से इसे आउटसोर्स पर दे दिया गया है 25 हीट निकल रहा है। इससे प्रबंधन फायदे की स्थिति में है। इतना ही नहीं आउटसोर्स पर देने से पूर्व नियम भी इस तरह रखे गए कि इससे प्रबंधन को कहीं पर भी नुकसान नहीं हो।
जैसे कि उत्पादन प्रभावित होने की स्थिति में आउटसोर्स कंपनी बीएसपी प्रबंधन को जुर्माना देगी। यूनिट में मेंटेनेंस की भी जिम्मेदारी आउटसोर्स कंपनी की ही है।
आउटसोर्स पर देने की यह भी वजह
जानकारी के अनुसार बीएसपी ने जिस एसआरयू को आउटसोर्स पर देने की तैयारी की है वह माडेक्स यूनिट का हिस्सा है। यहां अधिंकाश युवा कर्मचारी ही कार्यरत है।
बीते अप्रैल माह में युवा कर्मचारियों ने संयंत्र के कई विभागों में हड़ताल कर दिया था। माना जा रहा है कि इसे देखते हुए ही एसआरयू का आउटसोर्स पर देने का निर्णय लिया गया है। यहां अति कुशल ठेका श्रमिकों से यह काम कराने की तैयारी है। जिससे कम खर्च पर ही बेहतर काम हो सकेगा।
-परेशान कर्मचारी पहुंचे इंटक कार्यालय
आउटसोर्स पर विभाग का काम दिए जाने से परेशान एसआरयू के कर्मचारी शनिवार को स्टील एम्पलाई यूनियन इंटक के कार्यालय पहुंचे। उन्होंने ठेका कारण की समस्या को लेकर इंटक के महासचिव एचके बघेल के साथ बैठक की। कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपाते हुए बताया कि एसएमएस-3 के सीके-1 को, भी प्रोटेक्टिव इंजीनियरिंग प्राइवेट कंपनी को मेंटेनेंस एवं चलाने के लिए ठेकाकरण किया गया।
इस विभाग से नियमित कर्मचारियों को एसआरयू में स्थानांतरण किया गया। अब फिर से एसआरयू को प्रोटेक्टिव इंजीनियरिंग को चलाने के लिए ठेकाकरण करने की प्रक्रिया की जा रही है। इतना ही नहीं बाहर से श्रमिक ला कर नियमित कर्मचारियों द्वारा प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें ठेका दे दिया जाएगा और फिर वहां से नियमित कर्मचारियों का दूसरे जगह स्थानांतरण होगा।
कर्मचारियों का कहना था कि जब हम विपरीत परिस्थितियों में भी एसआरयू से 56 हीट तक उत्पादन किए हैं तो फिर इसे ठेका करण क्यों किया जा रहा है।
-महाप्रबंधक से मिले इंटक नेता
इंटक महासचिव एसके बघेल ने उपाध्यक्ष सच्चिदानंद पांडे, उप महासचिव एवं एस एम एस 3 के प्रभारी पीवी राव एवं सचिव राजकुमार उपसचिव ताम्रध्वज सिन्हा चर्चा कर, तत्काल महाप्रबंधक प्रभारी एसएमएस-3 प्रकाश भंगाले से जाकर मिले। इस दौरान कर्मचारी भी वहां मौजूद रहे।
इंटक यूनियन की टीम ने महाप्रबंधक प्रभारी से चर्चा कर ठेका करण का विरोध दर्ज किया एवं यह भी कहा कि हमारे किसी भी कर्मचारियों का वहां से स्थानांतरण नहीं होना चाहिए। कोविड-19 का संक्रमण चल रहा है ऐसे समय में बाहर से श्रमिक ला कर हमारे बीच में बैठाने से संक्रमण फैल सकता है। ठेकाकरण में हमारे स्थानीय भिलाई के लोगों को लिया जाए यहां भी पढ़े लिखे बेरोजगार लोग हैं या जो अप्रेंटिसशिप किए हुए हैं उन्हें प्राथमिकता दी जाए।
इस बैठक में सुनील खिचरिया, संजय साहू, वीके मजूमदार, विपिन मिश्रा, के राजशेखर, जयंत बराठे, जीआर सुमन, रेशम राठौर, डीपी खरे, प्रदीप पाठक, रमन मूर्ति एवं विभाग के कर्मचारी सुरेश कुमार, उमापति, वेद प्रकाश, प्रशांत उईके, लोकेश कुमार, सन्नाी, अनिल कुमार उपस्थित थे।
-प्रबंधन का यह है कहना
इधर इस मामले को लेकर सयंत्र के जनसंपर्क विभाग का कहना है कि एसएमएस-3 एक अत्यंत आधुनिक इकाई है और इस इकाई के ऐसे कई कार्य हैं जिसमें अति कुशल कर्मी की जरूरत है। एसएमएस-3 के कनवर्टर से क्रूड इस्पात का पहला हीट का उत्पादन मार्च 2018 में हुआ था। इस इकाई में इस्पात शुद्घिकरण के कई आधुनिक उपकरण हैं जिसे केवल अनुभवी और उधा श्रेणी के कुशल कर्मी ही आपरेट करने में सक्षम होते हैं।
ऐसा काम इस इकाई के शुरुआती दिनों से ही ऐसे प्रतिष्ठित और अनुभवी कंपनियों को ठेके पर दिया गया है। जिनके पास आधुनिक पद्घति पर काम करने के लिए ऐसे वर्कर हैं। अतः यह कहना कि हड़ताल के कारण ठेके पर श्रमिक रखे गए हैं गलत है।