नईदुनिया प्रतिनिधि, भिलाई: नीट 2025 परीक्षा परिणाम में छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण तब आया जब भिलाई निवासी दर्शित जैन ने प्रदेश टॉप कर इतिहास रच दिया। दर्शित ने यह उपलब्धि प्रतिदिन औसतन केवल चार घंटे की स्मार्ट और अनुशासित पढ़ाई से हासिल की, जिससे यह साबित होता है कि सफलता सिर्फ घंटों की मेहनत नहीं बल्कि सही रणनीति और निरंतरता का परिणाम होती है।
दर्शित जैन ने डीपीएस रिसाली से अपनी स्कूली शिक्षा की शुरुआत की और यहीं से कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। शैक्षणिक उत्कृष्टता की लंबी सूची में दसवीं कक्षा में 98.6% और बारहवीं कक्षा में 97.6% अंक प्राप्त कर उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रमाण पहले ही दे दिया था।
यह भी पढ़ें: जून महीने में उपभोक्ताओं को लगेगा ''बिजली का झटका'', विद्युत बिल में जुड़ेगा 7.32 प्रतिशत FPPAS शुल्क
दर्शित को फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलाजी तीनों ही विषय प्रिय हैं। उन्होंने विषयों की गहराई में जाकर पढ़ाई की और केवल रटने के बजाय हर कांसेप्ट को समझने पर जोर दिया। दर्शित बताते हैं कि उन्होंने हर दिन चार घंटे नियमित रूप से सेल्फ स्टडी की, साथ ही टेस्ट सीरीज और रिवीजन शेड्यूल को समयबद्ध तरीके से अपनाया।
दर्शित कहते हैं कि अभी मैंने यह तय नहीं किया है कि भविष्य में मेडिकल के किस फील्ड में जाना है, लेकिन फिलहाल मेरा लक्ष्य एमबीबीएस करना है। इसके बाद ही मैं अपने रुझान के अनुसार किसी विशेष शाखा का चयन करूंगा। दर्शित का मानना है कि सफलता के लिए जरूरी है कि लक्ष्य स्पष्ट हो और उसके प्रति निरंतर प्रयास किए जाएं। वे कहते हैं कि कोचिंग, गाइडेंस और संसाधन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन खुद पर विश्वास सबसे ज्यादा जरूरी है। प्रदेश में नीट 2025 में 22,000 से अधिक छात्र-छात्राओं ने क्वालिफाई किया है, लेकिन दर्शित जैन का छत्तीसगढ़ टॉपर बनना राज्य के लिए गौरव का विषय है।
यह भी पढ़ें: NIA की जांच में खुलासा, माओवादियों ने हमले के लिए Dummy Camp बनाकर ली थी विशेष ट्रेनिंग
दर्शित का परिवार शिक्षा और सेवा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। उनके पिता दुर्ग के आर्य नगर निवासी डॉ. प्रवीण जैन एक अनुभवी बाल रोग विशेषज्ञ (चाइल्ड स्पेशलिस्ट) हैं, जिनका अपना निजी क्लीनिक है। वहीं उनकी माता डॉ. शिल्पा जैन एक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। दोनों माता-पिता ने बेटे को हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और भावनात्मक सहयोग भी दिया। दर्शित ने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए कहा कि आज जो भी कुछ हूं, माता-पिता की वजह से हूं। उन्होंने कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी और मेरे हर निर्णय में मेरा साथ दिया।