भिलाई। कोरोना से जहां पूरे देश जूझ रहा है, वहीं केंद्र सरकार ने खाद के दाम बढ़ाकर किसानों को एक और झटका दे दिया है। आर्थिक स्थिति से जूझ रहे किसानों की अब एक और परेशानी बढ़ गई है। खेती के लिए डीजल और मजूदर पहले से महंगे थे, वहीं अब अति महत्वपूर्ण रासायनिक खाद भी महंगी हो गई है।
सुपर फास्फेट महंगी हो गई है। डीएपी खाद की कीमत में 54 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। मौसम की मार के चलते पहले ही किसान रबी की फसल में काफी नुकसान उठा चुके हैं। खासकर उड़द, चना, गेहूं और धान की फसल तो पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
जैविक खाद के निर्माण के जानकार विजय साहू ने कहा कि खाद के दाम बढ़ाने से किसान परेशान हैं। ऐसे में केंद्र सरकार जल्द से जल्द खाद के मूल्य में वृद्घि को वापस लें, ताकि इस कोरोना संकट की स्थिति में किसानों को मदद मिल सकें।
डीएपी की मांग बुआई के वक्त
किसानों का कहना है कि डीएपी की मुख्य मांग जून-जुलाई में खरीफ की फसलों की बुआई के दौरान होगी। अगर दाम कम नहीं हुए तो खरीफ की बुआई शुरू होते ही हाहाकार मचेगा। इसका इस्तेमाल कितना होता है, इसका अंदाजा छत्तीसगढ़ सहकारी समितियों से ही मिल जाता है।
प्रदेश में ही खरीफ सीजन में डीएपी की आपूर्ति का लक्ष्य औसतन लाख टन का रहता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फास्फोरिक एसिड और राक फास्फेट की कीमत चढ़ने से यह परिस्थितियां पैदा हुई हैं। देश में इसकी उपलब्धता काफी कम है। इसलिए ये दोनों उत्पाद बाहर से मंगाए जाते हैं, जिसके कारण रासायनिक खाद में बढ़ोतरी की गई है।
पहले मौसम ने और अब कीमत ने तोड़ दी कमर
दुर्ग के किसान संतोष साहू ने बताया कि डीएपी के साथ सभी खादों की रेट बढ़ने से किसानों के लिए काफी घातक है। अब तक एक एकड़ में जहां लगभग दस हजार रुपये का खर्चा आता है। इसमें खेत की मताई, बीज, खाद, दवाइयां, यूरिया, डीजल, कटाई, मशीन से निकलवाना सभी में खर्चा होता है।
इसके बाद भी मौसम साथ दे तो फसल किसान घर पर ला सकता है अन्यथा सबकुछ खत्म हो जाता है। मौसम की मार से किसान बर्बाद हो गए।