बिलासपुर(निप्र)। बिल्हा एसडीएम कार्यालय के विवादित क्लर्क टीएन देवांगन ने दंडाधिकारी कोर्ट के समक्ष खुलासा किया है कि 107 व 116 के मामलों की पूरी जानकारी है। कानून की जानकारी रखने के बाद भी तत्कालीन एसडीएम अर्जुन सिंह सिसोदिया के कहने पर गिरफ्तारी वारंट जारी करता था। मुझे इस बात की भी जानकारी है कि इस तरह के मामलों में गिरफ्तार कर जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। सबकुछ मैंने साहब के आदेश पर किया है।
बुधवार को दंडाधिकारी जेपी मौर्य की कोर्ट में राजेंद्र तिवारी आत्मदाह प्रकरण की सुनवाई हुई। इस दौरान सबसे पहले गवाही बिल्हा एसडीएम कोर्ट के क्लर्क टीएन देवांगन की गवाही हुई। गवाही के पश्चात पीड़ित पक्ष के वकील ने प्रतिपरीक्षण किया। इस दौरान वकील ने कोर्ट के समक्ष जमकर सवाल दागे। तीखे सवालों के बीच क्लर्क श्री देवांगन ने अपने बचाव में तर्क भी दिया। साथ ही इस बात का भी खुलासा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 107 व 116 के मामलों की पूरी जानकारी है। इस तरह के प्रकरण में किसी की गिरफ्तारी करने का प्रावधान नहीं है। गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जा सकता है। अगर किसी को गिरफ्तार कर लाया भी जाता है तो एसडीएम कोर्ट के समक्ष बांड भराकर मुचलके पर छोड़ दिया जाता है। 107 व 116 के मामलों की पूरी जानकारी होने के बाद मामलों के संबंध में एसडीएम साहब के इशारे और निर्देश के आधार पर ही आर्डरशीट तैयार की जाती थी। एसडीएम श्री सिसोदिया जो कहते थे उनके आदेश का शत-प्रतिशत पालन किया जाता था। कानून की जानकारी के बाद भी हम उनके निर्देशों के तहत काम करते थे। कोर्ट के समक्ष श्री देवांगन ने धारा 151 के संबंध में जानकारी होने से इनकार कर दिया। गवाही के बाद पीड़ित पक्ष के वकील ने प्रतिपरीक्षण करना शुरू किया। इस दौरान वकील ने कुछ तीखे सवाल भी दागे।
0 सवाल-क्या यह सही है कि आपके द्वारा बिल्हा अनुविभागीय कार्यालय के अंतर्गत हिर्री व चकरभाठा थाने से संबंधित 107 व 116 के प्रकरणों को डील करते थे?
00 जवाब- हिर्री थाना के अलावा बिल्हा एसडीएम न्यायालय के कार्य के अलावा भू राजस्व संहिता,भू अभिलेख व डायवर्सन का काम देखता था।
0 सवाल-क्या यह सही है कि आप किसी राजनीतिक पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। आपकी पत्नी दो बार वार्ड पार्षद का चुनाव जीत चुकी हैं।
00 जवाब- हां यह सही है। मेरी पत्नी भाजपा की टिकट से दो बार वार्ड पार्षद रह चुकी हैं। यह भी सही है कि मैं राजनीतिक दल से ताल्लुक रखता हूं।
0 सवाल- क्या यह भी सही है कि आपके द्वारा तत्कालीन एसडीएम श्री सिसोदिया के कहने पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सरगांव,एसडीएम कार्यालय पथरिया के दो लोगों के खिलाफ 107 व 116 का समंस जारी किया गया था ।
00 जवाब- हां मैंने पथरिया एसडीएम कार्यालय के अंतर्गत आने वाले ग्राम के निवासी दीपक राजपूत व जियाउद्दीन खान के खिलाफ 107 व 116 का समंस जारी किया था। यह मैंने श्री सिसोदिया के निर्देश के आधार पर किया था।
0 सिसोदिया ने जबरिया भेजा जेल
एसडीएम कार्यालय के क्लर्क श्री देवांगन की गवाही व प्रतिपरीक्षण के बाद ग्राम सेवती निवासी रंजीत मनहर की गवाही हुई। दंडाधिकारी कोर्ट के समक्ष रंजीत ने रोते हुए बताया कि बिल्हा के तत्कालीन एसडीएम श्री सिसोदिया ने उसके पिता स्व. जीवन लाल मनहर को 107 व 116 के मामले में झूठा फंसाया। यही नहीं उसे जबरिया जेल भी भेज दिया। रंजीत ने कहा कि सिसोदिया ने मेरे पिता को मार डाला। अगर वे जेल नहीं भेजते तो मेरे पिता की मौत नहीं होती। जमानत के लिए एसडीएम ने सौदेबाजी की। 50 हजार रुपए की मांग की थी। मैंने 20 हजार रुपए दिए तब जमानत देने आदेश जारी किया था। शेष 30 हजार रुपए पिता के जेल से रिहा के बाद देने की बात कही तो जेल से रिहाई वारंट जारी नहीं किया। दूसरे दिन जब 30 हजार रुपए दिए तो रिहाई वारंट जारी किया। इसी दिन रात में मेरे पिता की जेल में मौत हो गई। एसडीएम के तानाशाही के विरोध में राजेंद्र तिवारी ने मेरे पिता का शव एसडीएम कार्यालय के सामने रखकर प्रदर्शन किया था। राजेंद्र के इसी आंदोलन से श्री सिसोदिया राजेंद्र से नाराज रहने लगा था। इसी नाराजगी के चलते वे राजेंद्र को बार-बार जेल भेजने की धमकी दिया करते थे। एसडीएम की धमकी और आतंक से राजेंद्र भयभीत रहने लगा था। इस भय की वजह से उसने आत्मदाह की घटना को अंजाम दिया है। एसडीएम श्री सिसोदिया मेरे पिता के अलावा राजेंद्र की मौत के लिए भी बराबर के जिम्मेदार हैं।