बिलासपुर। Bilaspur News: केंद्र व प्रदेश सरकार जहां एक ओर डिजिटल सुविधा को घर पहुंच बनाने की राह पर है, वहीं जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की बेपरवाह कार्यप्रणाली से डिजिटल इंडिया योजना को गहरा झटका लग रहा है। सूरजपुर जिले में आय, जाति, निवास के आवेदनों को बिना कारण बताए लगातार वापस किया जा रहा है। जिनके आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं उन्हें मूल दस्तावेज के साथ आवेदक को संबंधित तहसील कार्यालय में बुलाया जा रहा है।
जिले के निवासियों को आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए घोर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र के लिए सामान्य सेवा केंद्रों व तहसील मुख्यालयों स्थित लोक सेवा केंद्रों में आवेदन तो दिया जा रहा है लेकिन इन आवेदनों को अनुमोदित करने की बजाए जिम्मेदार अधिकारियों व उनके मातहतों द्वारा कुछ भी कारण बताकर आवेदनों को लगातार वापस किया जा रहा है।
सूरजपुर तहसील मुख्यालय से जाति प्रमाण पत्र बनवाना आसान नहीं रह गया है। जिले के रामानुजनगर तहसील मुख्यालय की स्थिति भी बिगड़ गई है। रामानुजनगर, प्रेमनगर, पिल्खा सहित सभी तहसील कार्यालयों में स्थिति बदतर है। जबकि सामान्य सेवा केंद्रों से प्राप्त आवेदनों को लगातार अनर्गल कारणों से निरस्त किया जा रहा है। इसके साथ ही आवेदकों को मूल दस्तावेज के साथ उपस्थित होने को कहा जा रहा है।
ओबीसी में वंशवृक्ष के अलावा अन्य प्रमाण की मांग
राज्य शासन के निर्देशानुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग के जाति प्रमाण पत्र बनवाने हेतु सेटलमेंट के साथ आवेदक का वंशवृक्ष लगता है जिसे संबंधित हलका के पटवारी व ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा प्रमाणित किया जाता है। लेकिन तहसील मुख्यालय सूरजपुर से मूल दस्तावेज लगाने हेतु कहकर आवेदन वापस किया जा रहा है। वहीं लोक सेवा केन्द्र के संचालक द्वारा एक हितग्राही से दो सौ रुपये भी लिए गए हैं तथा एक हजार रूपए की और मांग संबंधित हितग्राही से मांग की जा रही है।
नहीं करेंगे काम
वीएलई संघ सूरजपुर ने कहा कि ई-डिस्ट्रिक्ट का काम करना मतलब खुद को परेशान करना है। इसलिए आय, जाति, निवास का काम नहीं करेंगे। इसकी जानकारी होने के बावजूद जिले के आला अधिकारियों को इसका निराकरण कराने की कोई पहल नहीं की जा रही है।