बिलासपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार निगम के महापौर और नगर पालिका, नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए न्यूनतम आयु की सीमा घटा दी है। पूर्व में 25 वर्ष से कम उम्र के लोग इस पद पर नहीं बैठ सकते थे। इस बार उसे घटाकर 21 वर्ष कर दी है। मतलब कोई युवा भी इन महत्वपूर्ण पदों पर बैठ सकता है। इसी तरह अब स्व घोषणा पत्र की जगह पर शपथ पत्र देना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर कोई गलत जानकारी दी तो इस शपथ पत्र के आधार पर संबंधित उम्मीदवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकेगी।
राज्य शासन ने महापौर और अध्यक्ष के लिए प्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था समाप्त कर दी है। अब अप्रत्यक्ष चुनाव होना है। इस महत्वपूर्ण बदलाव के अलावा भी राज्य निर्वाचन आयोग या स्थानीय निर्वाचन आयोग ने नियमों में कई दूसरे बदलाव भी किए हैं। महापौर और अध्यक्ष के लिए जरूरी न्यूनतम आयु सीमा में चार साल की कटौती कर दी है। अब पार्षद की तरह 21 साल वाले भी अपने निकायों का नेतृत्व कर सकते हैं। नए नियम में उम्मीदवारों पर भी नकेल कसी जा रही है। उन्हें अपने नामांकन में गलत जानकारी देना भारी पड़ सकता है। क्योंकि अब स्व घोषणा पत्र के बजाय शपथ पत्र देना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर शपथ पत्र में कोई गलत जानकारी दी गई तो निर्र्वाचन कार्यालय के अलावा दूसरे दावेदार भी कानूनी कार्रवाई कर सकेंगे। इसी तरह लोकसभा,विधानसभा की तरह पार्षद उम्मीदवारों को भी बैंक में अलग से खाता खोलना अनिवार्य कर दिया गया है। इसकी जानकारी निर्वाचन कार्यालय को देनी होगी। इसमें चुनावी खर्च का हिसाब भी होगा। पार्षद चुनाव में जहां पहले पांच प्रस्ताव लगते थे,उसे भी घटाकर अब एक कर दिया गया है। इसमें उम्मीदवार किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकता है,लेकिन प्रस्ताव को उसी वार्ड का स्थानीय रहवासी होना जरूरी है।