बिलासपुर। शहर का स्वीमिंग पूल संजय तरण पुष्कर 41 साल पुराना है। वर्ष 1982 में बना यह पूल प्रशिक्षण के साथ-साथ तैराकों को प्रसिद्धि भी दिला रहा है। यहां से अभ्यास कर कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय तैराक निकले। अभी भी इसकी पूछपरख कम नहीं हुई है। इसके अलावा तैराकी के शौकीनों की भी यह पहली पसंद है। वर्तमान में 700 सदस्य पंजीकृत हैं और प्रतिदिन सुबह से लेकर रात तक तैराकी का लुत्फ उठाते हैं।
गर्मी शुरू होते ही तैराकी के शौकीन टकटकी लगाए रहते हैं कि निगम स्वीमिंग पूल की शुरुआत कब करेगा, ताकि पंजीयन करा तैराकी का लुत्फ उठा सकें। इसकी क्षमता 700 से अधिक सदस्यता की नहीं है। यही वजह है कि जैसे ही यह कोरम पूरा होता है निगम नया पंजीयन बंद कर देता है। इसके कारण कहीं न कहीं लोगों को निराशा भी होती है। हालांकि शहर में दो और स्वीमिंग पूल हैं।
उनमें से एक का संचालन खेल एवं युवा कल्याण विभाग और दूसरे को रेलवे संचालित करती है। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय मापदंड की बात करें तो संजय तरण पुष्कर ही एकमात्र स्वीमिंग पूल है। यहां प्रतियोगिता के लिए अभ्यास किया जा सकता है।
वर्ष 2016 में दो तैराक सृष्टि नाग व शिवाक्ष साहू ने कोलंबो में आयोजित साउथ एशिया गेम गोल्ड, सिल्वर व रजत पदक प्राप्त कर शहर का मान बढ़ाया था। निगम तैराकों को भी हरसंभव मदद करने का प्रयास करता है। वर्ष 1985 में राष्ट्रीय तैराक राजेश साहू ने इसी स्वीमिंग पूल में अभ्यास कर तैराकी में बिलासपुर को सबसे पहले मेडल दिलाया था।
जानें इस स्वीमिंग पूल की विशेषता
संजय तरण पुष्कर की गहराई तीन से 18 फीट है। इसका निर्माण ढलान डिजाइन में किया गया है। तीन फीट की गहराई सामने में है। जैसे- जैसे आगे जाते जाएंगे इसकी गहराई अधिक होती जाती है। इसी वजह से तैराकों को अभ्यास करने में ज्यादा आसानी होती है।
भोपाल की तर्ज पर हुआ है निर्माण
संजय तरण पुष्कर का निर्माण भोपाल के प्रकाश तरण पुष्कर की तर्ज पर हुआ है। वर्ष 1982 में जब इसके निर्माण की योजना बनाई गई, तब बिलासपुर नगर निगम के इंजीनियरों को वहां भेजा गया। उन्होंने प्रकाश तरण पुष्कर का मेजरमेंट किया। इसके बाद ड्राइंग डिजाइन बनाई गई।
डायविंग बोर्ड वाला पहला स्वीमिंग पूल
संजय तरण पुष्कर शहर का पहला स्वीमिंग पूल है, जहां डायविंग बोर्ड की सुविधा है। यहां तीन मीटर, पांच मीटर, साढे सात मीटर और 10 मीटर के डायविंग बोर्ड हैं, जहां से प्रतिभागी छलांग लगा सकते हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने पहुंचे तैराको पर पांच जीवन रक्षकों की नजर रहती है। इसके अलावा एक प्रशिक्षक और दो महिला जीवन रक्षक भी हैं। इस स्वीमिंग पूल में महिला सदस्यों के लिए अलग समय है। महिला कर्मी इसी समय पर तैनात रहती हैं।