
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। यौन अपराध और हत्या के मामले में आरोपित को दुष्कर्म के मामले से बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य और चिकित्सकीय प्रमाण होने के बाद गंभीर आरोप के आरोपित को पॉक्सो एक्ट में बरी करना बड़ी चूक है। डिवीजन बेंच ने इस बात को लेकर भी आश्चर्य व्यक्त किया है कि राज्य शासन ने विचारण न्यायालय के फैसले पर अपील नहीं की।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि सभी साक्ष्य मौजूद रहने के बाद भी राज्य सरकार ने आइपीसी और पॉक्सो एक्ट के प्रविधानों के तहत आरोपित के बरी होने को चुनौती क्यों नहीं दी। हालांकि राज्य सरकार की अपील ना करने के बाद भी चिकित्सकीय साक्ष्य और बच्चे के खिलाफ किए गए अपराध की गंभीरता कम नहीं करती।
रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के अध्ययन से कोई संदेह नहीं रह जाता कि पीड़ित का अपहरण किया गया और फिर बर्बर तरीके से यौन उत्पीड़न किया गया था, इसके बाद हत्या कर दी गई। डिवीजन बेंच ने कहा कि ऐसे मामले में जहां पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया गया हो और उसे मार दिया गया हो, अगर ट्रायल कोर्ट को पीड़िता पर दुष्कर्म के पक्के सबूत मिलते हैं तो दुष्कर्म की घटना को नजरअंदाज नहीं कर सकता और आरोपित को सिर्फ हत्या के लिए दोषी नहीं ठहरा सकता।
जांजगीर चांपा जिले के जैजैपुर थाना क्षेत्र निवासी 12 वर्ष 7 माह उम्र की नवमीं कक्षा की छात्रा 28 फरवरी 2022 की रात को अपनी मां के साथ सोई थी। मां की रात को नींद खुली तो देखा कि उसकी बेटी बिस्तर में नहीं है। पिता ने एक मार्च 2022 को जैजैपुर थाना में रिपोर्ट लिखाई कि उसकी नाबालिग बेटी जो कि कक्षा नवमीं में पढ़ती है उसका अपहरण अज्ञात व्यक्ति ने कर लिया है। पिता ने बंधक बनाकर रखने का संदेह व्यक्त किया था। तीन मार्च 2022 को उसकी लाश गांव के तालाब में मिली। मामले में पुलिस ने आरोपित जवाहर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को आइपीसी की धारा 302 और 201 के अंतर्गत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया और आजीवन कारावास और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के अभियुक्त ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने अपील को खारिज कर दी है। डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त के खिलाफ पाक्सो एक्ट के तहत सजा नहीं सुनाने को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग के साथ अभियुक्त ने बर्बर तरीके से यौन शोषण करने और हत्या जैसा जघन्य अपराध किया है। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि नाबालिग की मौत अभियुक्त द्वारा किए यौन शोषण के कारण हुई।
अभियुक्त ने मृतक को कीटनाशक पिला दिया। सबूत मिटाने के लिए कीटनाशक की बोतल को घटना स्थल के पास तालाब में फेंक दिया। मृतक द्वारा पहनी लेगिस की जेब में सुसाइड नोट रख दिया और उसके बाद शव को डबरी तालाब में फेंककर ठिकाने लगा दिया।