
बिलासपुर। सुप्रतिष्ठित कथाकार, शिक्षाविद् तथा विचारक स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद चौबे वनमाली के रचनात्मक योगदान और स्मृति को समर्पित संस्थान 'वनमाली सृजन पीठ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरिष्ठ कवि कथाकार संतोष चौबे ने विश्व हिंदी दिवस पर प्रतिष्ठित राष्ट्रीय वनमाली कथा सम्मानों की घोषणा की। इस बार आठ अलग-अलग श्रेणियों में रचनाकारों को वनमाली कथा सम्मान से अलंकृत किया जाएगा।
विश्व रंग के अंतर्गत रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के तत्वावधान में वनमाली सृजन पीठ एवं आइसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वनमाली कथा सम्मान समारोह में सभी चयनित रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा।
घोषणा के अनुसार प्रथम वनमाली कथाशीर्ष सम्मान से सुप्रसिद्ध समालोचक प्रोफेसर धनंजय वर्मा (उज्जैन) को अलंकृत किया जाएगा। वनमाली राष्ट्रीय कथा सम्मान से वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री (दिल्ली) को सम्मानित होंगी। वनमाली कथाशीर्ष सम्मान एवं वनमाली राष्ट्रीय कथा सम्मान से सम्मानित दोनों साहित्यकारों को शाल श्रीफल, प्रशस्ति पत्र व एक-एक लाख रुपये सम्मान राशि प्रदान कर अलंकृत किया जाएगा। वनमाली कथा मध्यप्रदेश सम्मान वरिष्ठ कथाकार हरि भटनागर(भोपाल), वनमाली युवा कथा सम्मान युवा कथाकार चंदन पांडेय,(बंगलौर), वनमाली कथा आलोचना सम्मान युवा आलोचक वैभव सिंह(दिल्ली), वनमाली साहित्यिक पत्रिका सम्मान दिल्ली से प्रकाशित चर्चित मासिक पत्रिका कथादेश को प्रदान किया जाएगा।
वनमाली कथा सम्मान में इस बार से वनमाली कथाशीर्ष सम्मान के साथ ही दो और श्रेणियों में रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा। पहला वनमाली प्रवासी भारतीय कथा सम्मान वरिष्ठ कथाकार दिव्या माथुर(लंदन) को प्रदान किया जाएगा तथा पहला वनमाली विज्ञान कथा सम्मान वरिष्ठ विज्ञान लेखक श्री देवेंद्र मेवाड़ी(दिल्ली) को मिलेगा। वनमाली कथा मध्य प्रदेश सम्मान, वनमाली युवा कथा सम्मान, वनमाली कथा आलोचना सम्मान, वनमाली साहित्यिक पत्रिका सम्मान, वनमाली प्रवासी भारतीय कथा सम्मान, वनमाली विज्ञान कथा सम्मान से सम्मानित रचनाकारों को शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र एवं 51 हजार रुपये सम्मान राशि प्रदान कर अलंकृत किया जाएगा।
देश के सुप्रतिष्ठित रचनाकार हुए सम्मानित
वनमाली सृजन पीठ, भोपाल के अध्यक्ष वरिष्ठ कथाकार मुकेश वर्मा ने कहा कि 'विश्व रंग' के अंतर्गत वनमाली सृजन पीठ द्वारा प्रदान किए जाने वाले 'वनमाली कथा सम्मान' समकालीन कथा परिदृश्य में जनतांत्रिक एवं मानवीय मूल्यों की तलाश में लगे कथा साहित्य की पुन:प्रतिष्ठा करने और उसे समुचित सम्मान प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित द्विवार्षिक पुरस्कार है। वनमाली सृजन पीठ द्वारा अब तक वनमाली कथा सम्मान से भारत के सुप्रतिष्ठित रचनाकारों में शुमार ममता कालिया, चित्रा मुद्यल, शशांक, स्वयं प्रकाश, अखिलेश, असगर वजाहत, उदय प्रकाश, मैत्रेयी पुष्पा, प्रभु जोशी, प्रियंवद, मनोज रूपड़ा आदि रचनाकारों को अलंकृत किया जा चुका है।
वनमाली पत्रिका का लोकार्पण
इस अवसर पर नए कथा मासिक की शुरुआत की जा रही है। वनमाली सृजन पीठ की इस पत्रिका वनमाली के प्रधान संपादक मुकेश वर्मा तथा संपादक कुणाल सिंह होंगे। नई सदी की नई रचनाशीलता को सम्यक एवं समुचित स्थान देने के उद्देश्य से इस पत्रिका का पहला अंक भी वनमाली कथा सम्मान समारोह में लोकार्पित किया जाएगा।
कथा भोपाल का लोकार्पण आइसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा भोपाल के लगभग 200 कथाकारों की कहानियों को 'कथा भोपाल' के रूप में चार वृहद खंडों में संकलित, संपादित एवं प्रकाशित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस अद्वितीय कथाकोश के प्रधान संपादक श्री संतोष चौबे तथा संपादक श्री मुकेश वर्मा हैं। इस कथाकोश का लोकार्पण भी इस अवसर पर समारोह पूर्वक किया जाएगा। आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सात अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया जायेगा।
साहित्य पर विमर्श
तीन दिवसीय वनमाली कथा सम्मान समारोह के अवसर पर सम्मानित रचनाकारों का रचना पाठ, आलोचना का समकाल, कहानी का समकाल, कथा भोपाल: स्थानीयता का विश्व रंग जैसे महत्वपूर्ण साहित्यिक आयोजन भी होंगे। जिसमें देश के प्रसिद्ध रचनाकारों की सहभागिता होगी।
कहानियों का मंचन
वनमाली कथा सम्मान के अवसर पर स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद चौबे वनमाली की कहानी आदमी और कुत्ता का नाट्य मंचन टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक मनोज नायर के निर्देशन में होगा। इस अवसर पर संतोष चौबे की कहानी 'सतह पर तैरती उदासी' का नाट्य मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नईदिल्ली के पूर्व निदेशक सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक देवेंद्र राज अंकुर के निर्देशन में किया जाएगा।
Koo Appनिज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के,मिटत न हिय को सूल।-भारतेन्दु हरिश्चंद्र मातृभाषा का प्रयोग गर्व और अभिमान से करें। इसके सम्मान में ही हमारा गौरव है। अन्य भाषा से प्रेम करें, परंतु अपनी भाषा से विशेष अनुराग होना चाहिये। #विश्वहिन्दी_दिवस- Shivraj Singh Chouhan (@chouhanshivraj) 10 Jan 2022