राधाकिशन शर्मा/बिलासपुर। Bilaspur News: कोरोना काल में आयुष मंत्रालय की सलाह पर सभी का ध्यान है। इस वजह से सदियों से भरोसेमंद रहीं जड़ी-बूटियां अब फिर से मांग में आने लगी हैं। इनमें भी कुछ नाम ऐसे हैं जिनकी पूछपरख ज्यादा हो रही है। इसके अलावा कीमत भी तेजी से बढ़ रही है। गुणकारी चिरायता ऐसा ही एक नाम है।
एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर होने के कारण मौजूदा दौर में इसकी मांग बढ़ गई है। प्रदेश में औसत उत्पादन प्रति साल 100 टन है।
आयुष मंत्रालय की सलाह के बाद मांग दोगुनी हो चुकी है। बरसों बाद 500 रुपये की तेजी आई है। एसपी इंडस्ट्रीज छत्तीसगढ़ के संचालक सुभाष अग्रवाल के अनुसार 2500 रुपये क्विंटल पर मिलने वाला चिरायता अब 3000 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया है। यही नहीं चिरायता का हर भाग अलग-अलग तरह की बीमारियों से लड़ने और जीतने में सक्षम हैं।
क्या है चिरायता
चिरायता एक पौधा है। इसकी जड़ें, तना, पत्तियां और फूलों में एंटीआक्सीडेंट तत्व होते हैं। इन तत्वों की वजह से चिरायता अमूल्य औषधियों से भरपूर है। इसके इन्हीं गुणों की वजह से इसे आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियां प्रमुखता से मांग करती आई हैं। फिलहाल कोरोना वायरस से लड़ने में जिस तरह के चिकित्सकीय उपाय किए जा रहे हैं उसके बाद आयुष मंत्रालय ने इसे अपनी सूची में शामिल कर लिया है।
ये बीमारियां होती है दूर
जड़, तना, पत्तियां और फूलों में जो एंटीआक्सीडेंट तत्व मिले हैं उसके अनुसार इसके सेवन से पेट की तकलीफ दूर की जा सकती है तो लंबे समय से नहीं उतरने वाले बुखार के लिए रामबाण है। मधुमेह के रोगियों के लिए वरदान माना जा चुका चिरायता ह्रदय रोग व कैंसर की रोकथाम करने में भी सहायक पाया गया है।
कब्ज दूर करने में सफल तो है ही साथ में आंतरिक रक्त स्त्राव को भी रोकता है और उसकी अशुद्धि को भी दूर करता है। छत्तीसगढ़ में गरियाबंद जिला चिरायता के लिए आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कंपनियों के बीच खासा लोकप्रिय है।
इन्होंने कहा
चिरायता से कई तरह की बीमारियां दूर की जा सकती हैं,लेकिन सेवन से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सलाह अवश्य लें।
डा.अजीत विलियम्स
साइंटिस्ट, फारेस्ट्री, ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय बिलासपुर