Railway News: चट्टानों में जालियों का कवच, रेलवे ने संवेदनशील क्षेत्रों में बढ़ा दी सतर्कता
वर्षा में ट्रैक पर पत्थर व मिट्टी धंसकने के खतरे से बचाने रेलवे ने किया पुख्ता इंतजाम
By Manoj Kumar Tiwari
Edited By: Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Wed, 12 Jul 2023 02:36:55 PM (IST)
Updated Date: Wed, 12 Jul 2023 02:36:55 PM (IST)

बिलासपुर। वर्षा शुरू होते ही उन क्षेत्रों के रेलमार्गों में चट्टान या मिट्टी धंसकने का खतरा बढ़ जाता है, जो पहाड़ या जंगल के बीच से निकले हैं। रेलवे ने ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ा दी है। एक ओर जहां इंजीनियरिंग विभाग का अमला 24 घंटे रेलमार्ग पर पैनी नजर रखा हुआ है।
वहीं पहाड़ों पर लोहे की जालियों की कवच लगाए गए हैं, ताकि किसी तरह की घटना न हो और ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन हो सके। रेलवे में ट्रेनों का परिचालन करने के लिए पटरियां बिछाई गई हैं। इसमें लगातार विस्तार हो रहा है। यही वजह है कि सिंगल या डबल नहीं बल्कि तीसरी व चौथी लाइन बिछाने का कार्य हो रहा है। जब लाइन बिछाने की योजना बनाई जाती है तो रेल प्रशासन परिस्थितियां चाहे जैसी हो पूरी सुरक्षा के साथ पूरी करती है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में आसान रेलमार्ग के साथ कई मार्ग ऐसे सेक्शन पर बने हैं, जो बेहद कठिन है। उतार-चढ़ाव के साथ कई सेक्शन में पहाड़ को काटकर लाइनें बिछाई गई हैं। उस सेक्शन में घनघोर जंगल भी है। ऐसे क्षेत्रों में बरसात के दौरान परिचालन बाधित होने का हमेशा खतरा रहता है। अत्यधिक वर्षा के कारण चट्टानें या पहाड़ की मिट्टी सीधे ट्रैक पर जा गिरती है।
ऐसी स्थिति में ट्रेनों का परिचालन रोकना पड़ता है। बिलासपुर रेल मंडल कटनी सेक्शन की ही बात करें तो यहां एक समय में घंटों ट्रेनों के पहिए थम जाते हैं। कभी पत्थर गिरने के कारण तो कई बार हरे- भरे विशाल वृक्ष गिरकर ओएचई तार को तोड़ देते थे। हालांकि अब ऐसी प्राकृतिक अड़चनों से निपटने के लिए रेल प्रशासन पहले से सतर्क हो जाता है।
इसके लिए लोहे की जालियों से ऐसी रेलमार्ग के दोनों तरफ चट्टानों को बांधकर रखा गया है, ताकि वर्षा के कारण यदि पत्थर या मिट्टी धंसकती भी हैं तो जालियों की वजह से वह ट्रैक तक न पहुंचे। जालियां उन्हें थाम ले। बाक्स- मानसून पैट्रोलिंग से निगरानी रेलवे में भी मानसून पैट्रोलिंग का नियम है। इसका पालन भी शुरू हो गया है। पैट्रोलिंग उन जगहों पर की जा रही है, जो संवेदनशील क्षेत्र हैं।
यहां ट्रैक नदी-नालों के ऊपर से हैं। वर्षा होते ही यहां ट्रैक पर पानी भर जाता है या फिर ट्रैक के बहने का खतरा रहता है। रेल अमला 24 घंटे संवेदनशील क्षेत्रों में स्टाफ तैनात कर रखा है। यह स्टाफ प्रतिदिन की स्थिति से अधिकारियों को अवगत कराता है। इंजीनियरिंग विभाग के अलावा अन्य विभाग भी अपने-अपने स्तर पर सतर्कता बरतते हुए ठोस उपाय करने में जुटे हैं।
संकेत व दूर संचार और इलेक्ट्रिक विभाग बिजली से संबंधित व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने में जुटे हैं तो ओएचई विभाग तार का मेंटेनेंस और इसमें बाधा पहुंचाने वाले वृक्षों की छंटाई का काम भी पूरा कर लिया है। बाक्स- जोन में 92 क्षेत्र संवेदनशील दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन ने उन संवेदनशील क्षेत्रों की अलग से सूची भी बनाकर रखा है, जहां इस तरह के खतरे हैं। इनमें प्रमुख रूप से रायगढ़- झारसुगुड़ा, रायगढ़ - कोरतलिया, ईब-झारसुगुड़ा, बिलासपुर-अनूपपुर, अनूपपुर-अंबिकापुर, भनवारटंक, खोडरी- खोंसगरा समेत कई सेक्शन हैं। इन जगहों पर खासकर रेलवे की विशेष नजर है।